आयुर्वेद में कुछ ऐसे पेड़ों की छाल का जिक्र किया गया है जिनके प्रयोग से कई प्रकार के रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है । आज हम आपको एक ऐसी लकड़ी की छाल के बारे में बताने वाले हैं जिससे आप भी त्वचा संबंधित रोगों से मुक्ति पा सकते हैं आइए जानते हैं कि कौन सी है वह लकड़ी..
मैदा लकड़ी एक पौधे का नाम है। जिसकी छाल बहुत ही फायदेमंद होती है। आयुर्वेद में इसकी छाल से कई रोगों का इलाज किया जाता है। अंग्रेजी में इस लकड़ी को लॉरेल कहा जाता है और साइंटिफिक नाम ग्लूटीनोसा है।
इस लकड़ी की छाल का उपयोग चोट, जख्म को ठीक करने के साथ जोड़ों का दर्द, मोच, कमर दर्द और हड्डी टूटने पर भी होने वाले दर्द में किया जाता है । जिससे काफी राहत मिल सकती है । आइए जानते हैं इसके उपयोग से शरीर को होने वाले लाभ के बारे में…
छाल के प्रयोग से होने वाले लाभ..
जोड़ों के दर्द में आराम…
मैदा लकड़ी की छाल के पाउडर में नीलगिरी का तेल मिलाकर लगाने से गठिया के दर्द से आराम मिल जाता है। घुटनों और जोड़ों के दर्द में भी इसकी छाल का तेल काफ़ी रामबाण माना जाता है।
डायरिया में फायदेमंद…
मैदा लकड़ी की छाल के इस्तेमाल से डायरिया ,पेट दर्द ,उल्टी आदि समस्याओं में आराम मिलता है। इसके पाउडर को गर्म पानी के साथ लेने से डायरिया की समस्या काफी हद तक दूर हो जाती है और स्वास्थ्य ठीक रहता है।
जख्म में दे राहत…
ताजे जख्म पर यदि मैदा लकड़ी की छाल को घिसकर लगाया जाए तो जख्म जल्दी भर जाता है क्योंकि इसमें एंटी फंगल गुण होते हैं। कटने या छिलने इसका उपयोग फायदेमंद माना जाता है। हम आपको बता दें कि चोट पर यह एंटीसेप्टिक का काम करता है। यह एक प्राकृतिक आयुर्वेदिक दवाई है। इसे लगाने से इन्फेक्शन नहीं होता है। अगर ब्लीडिंग हो रही हो तो वह भी बंद हो जाती है। इसके अलावा आप नीम की छाल का भी प्रयोग इसमें कर सकते हैं इससे भी आपको फायदा होगा।
साइटिका और कमर के दर्द में होता है फायदेमंद है…
इसकी छाल के पाउडर का लेप बनाकर लगाने से रीढ़ की हड्डी और कमर की नसों से जुड़ी समस्या जैसे साइटिका और कमर दर्द में राहत मिल सकती है। हड्डी टूटने के दर्द में , मोच आने पर भी इसका इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ के अनुसार इस लकड़ी के छाल में दर्द निवारक गुण मौजूद होने के कारण यह फायदेमंद होता है। किसी भी तरह की एलर्जी या बीमारी में इसका प्रयोग उपयोगी हो सकता है परंतु अत्यंत गंभीर एलर्जी यह बीमारी होने पर इसके प्रयोग से पहले आयुर्वेदाचार्य की सलाह जरूर लें।