आज के समय में जिस प्रकार से पर्यावरण में बदलाव हो रहा है और ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है।इस प्रकार से पर्यावरण का संरक्षण करना अति आवश्यक हो गया है क्योंकि इससे मनुष्य के साथ-साथ में प्रकृति तथा जीव जंतुओं को भी अत्यंत हानि पहुंचती है।
वन्य जीव को बचाएं,
बेहतर भविष्य बनाएं
आइए जानते हैं कि वन्य जीव संरक्षण हेतु हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं…
वन्य जीव संरक्षण हेतु क्या करें…
- वन्यजीवों के संरक्षण के लिए वन्यजीवों को घायल अवस्था या अनाथ में पाए जाने पर वन विभाग के निकट स्थित कार्यालय को तत्काल सूचना प्रदान करें।
- वन्यजीवों के अवैध व्यापार एवं अवैध शिकार के संबंध में सूचना दें।
- वन्यजीवों को सुरक्षित स्थान पर रखें
- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वन्यजीवों को ऐसे स्थान पर सुरक्षित रखें जहां पर वह शिकार करना मना हो।
- वन्यजीवों के अवैध शिकार व्यापार आदि में शामिल व्यक्तियों संस्थाओं आदि की सूचना वन विभाग एवं पुलिस विभाग के निकट कार्यालय को अवश्य दें
- वन्यजीवों के संरक्षण हेतु मदद के लिए राष्ट्रीय टोल की हेल्पलाइन नंबर 1800-11-9334 पर सूचना देकर जानकारी प्राप्त करें।
वन्यजीवों के संरक्षण हेतु क्या ना करें
- बिना अनुमति के वन्य जीव को पिंजड़े अथवा किसी परिसर में कैद करके रखना अपराध है ऐसा करने पर दंड दिया जा सकता है।
- वन्यजीवों को चोट पहुंचाना उनके अंडर घोसले को नष्ट करना अपराध है अतः ऐसा ना करें।
- वन्यजीवों का अवैध शिकार करके उन्हें हानि ना पहुंचाएं
- वन्यजीवों का शिकार फंदे में फसाना, दौड़ाना,जहर देना आदि अवैध है।
- वन्यजीवों के मानसिक का भक्षण या अन्य वन्य जीव से संबंधित उत्पादों जैसे चमड़ा सिंह पंख बाल नाखून हड्डी आदि का वर्जित है अतः इनका उपयोग ना करें उनको नुकसान ना पहुंचाएं
- वन्यजीवों जैसे भालू बंदर लंगूर सांप तीतर तोता अधिक को मनोरंजन हेतु प्रयोग में लाना गैरकानूनी है ऐसा कदापि ना करें।
- किसी भी वन्यजीव संरक्षण पार्क में जाकर के वन्यजीवों को परेशान ना करें।
- वन्य जीव को चारा अथवा कुछ खाने की वस्तु देकर उन्हें फालतू ना बनाया ऐसा करना भी अपराध है।
- वन्य जीव को मारना, सताना या उनका मजाक बनाना भी अपराध की श्रेणी में आता है।
क्या है वन्य जीव संरक्षण अधिनियम?
भारत सरकार ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 को देश के वन्यजीवों को सुरक्षा प्रदान करने एवं अवैध शिकार, तस्करी और अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लागू किया था। जनवरी 2003 में अधिनियम में संशोधन किया गया था और सजा और अधिनियम के तहत अपराधों के लिए जुर्माना और अधिक कठोर बना दिया है।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम का मुख्य उद्देश्य जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों को सुरक्षा प्रदान करना है। यह अधिनियम केंद्र सरकार को कुछ क्षेत्रों को अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने का अधिकार देता है। इसके अलावा यह अधिनियम जंगली जानवरों के शिकार पर रोक लगाता है और नियमो का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है।