गणपति उत्सव भारत में मनाया जाने वाला बहुत प्रमुख उत्सव है जो विशेषतौर पर महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे तो गणेश जी की पूजा सभी लोग प्रतिदिन करते हैं परंतु गणेश चतुर्थी वाले दिन धूमधाम से गणेश जी की नई मूर्ति लाकर पहले तो उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और उसके बाद उनकी पूजा और आराधना की जाती है। आईये जाने की कब और कैसे मनाये गणेश चतुर्थी व क्या है शुभ मुहूर्त……..
कैसे करें गणेश चौकी की पूजन??
गणेश भगवान को अपने घर में बड़े धूमधाम को के साथ लाना चाहिए यानि गाना बजाना करते हुए गणेश भगवान का प्रवेश अपने घर में करना चाहिए।भगवान गणेश रिद्धि सिद्धि के विनायक हैऔर वे घर में ढेर सारी खुशियां लेकर प्रवेश करते हैं। गणेश भगवान की आगमन से पूरा घर खुशियों से भर जाता है।
गणेश चतुर्थी का दिन बहुत खास होता है। इस दिन गणेश जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। गणेश जी की स्थापना करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह स्थापना पूर्ण रूपेण मंत्रो से की जाती है। गणेश जी को चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है। उनकी चौकी के दाहिने तरफ जल रखा जाता है। उसके बाद उसे चौकी के ऊपर भगवान गणेश जी की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इस दौरान मंदिर को अच्छे से सजाया जाता है ताकि वह देखने में और भी ज्यादा सुंदर लगे।
गणेश जी के विशेष नाम…
मुद्गल और गणेश पुराण में विघ्नहर्ता गणेश के 32 मंगलकारी रूप का वर्णन मिवता है, जोकि इस प्रकार हैं–
श्रीबाल गणपति, तरुण गणपति, भक्त गणपति, वीर गणपति, शक्ति गणपति, द्विज गणपति, सिद्धि गणपति, उच्छिष्ट गणपति, विघ्न गणपति, क्षिप्र गणपति, हेरम्ब गणपति,लक्ष्मी गणपति, महागणपति,विजय गणपति, नृत्य गणपति, उर्ध्व गणपति, एकाक्षर गणपति, वर गणपति, त्र्यक्षर गणपति, क्षिप्रप्रसाद गणपति, हरिद्रा गणपति, एकदंत गणपति, सृष्टि गणपति, उद्दंड गणपति, ऋणमोचन गणपति, ढुण्ढि गणपति, द्विमुख गणपति, त्रिमुख गणपति, सिंह गणपति, योग गणपति, दुर्गा गणपति, संकष्टहरण गणपति.
गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी की प्राण प्रतिष्ठा करने का शुभ मुहूर्त….
गणपति उत्सव के लिए सभी उत्साहित रहते हैं और खासकर बप्पा की मूर्ति स्थापना का सभी को इंतजार रहता है लेकिन मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए। अब बप्पा की मूर्ति स्थापना के लिए जो समय बाकी है। अगर आप बप्पा की मूर्ति स्थापना करने वाले हैं तो 11 बजकर 18 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट के बीच मूर्ति स्थापना कर सकते हैं. क्योंकि 01:34 तक स्वाति नक्षत्र रहेगा।
मूर्ति स्थापना के समय पढ़िए यह मंत्र….
गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करते समय करें इस मंत्र का जाप)
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणमं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम।।
गणेश जी की मूर्ति की स्थापित करते समय इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें।गणेश उत्सव के दौरान प्रतिदिन की पूजा में भी आप इसका जाप कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी में गणेश जी की प्राण प्रतिष्ठा कितने दिन रहती है??
भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना 10 दिनों तक की जाती है और प्रतिदिन उनकी पूजा भी की जाती है। पूजा के लिए सबसे पहले श्री गणेश का आवाहन करते हुए ‘ऊं गन गणपतए नमः’ मंत्र का उच्चारण करें और गणेशजी की प्रतिमा पर जल छड़कें।
इसके बाद भगवान को हल्दी, चंदन , गुलाल सिंदूर ,मौली ,दूर्वा ,जनेऊ , मिठाई ,मोदक ,फल , माला, और फूल सभी चीजें एक-एक कर भगवान को अर्पित करें। भगवान का सभी चीजें अर्पित करने के बाद धूप, दीप के साथ आरती करें और पूजा में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित करें।
गणेश चतुर्थी का शुभ योग
इस साल गणेश चतुर्थी पर 300 साल बाद ब्रह्म, शुक्ल और शुभ योग का अद्भुत संयोग बना है। साथ ही स्वाति नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र भी रहेंगे।
ये है गणपति की सबसे शुभ मूर्ति
घर में स्थापित करने के लिए गणपति की बाईं सूंड वाली मूर्ति लाएं।ये शुभ मानी जाती है।दाईं ओर सूंड वाले गणपति में सूर्य का प्रभाव होता हैं ऐसे गणपति की पूजा अधिकतर मंदिरों में की जाती है, इसमें जरा सी गलती मुसीबत बन सकती है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी के दिन प्रथम पूजनीय गणेश जी का जन्म हुआ था।वैसे तो गणेश उत्सव पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में इसकी रौनक खास होती है।इस दिन व्रत रखकर घर या दुकान में गणपति की स्थापना करने से धन, नौकरी, शिक्षा से संबंधित समस्याओं का अंत होता है. कहते हैं बप्पा घर में खुशियां लेकर आते हैं और हमारी सारी परेशानियां लेकर चले जाते हैं।
गणेश जी के सर्व कार्य सिद्ध मंत्र.. 👍
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की वंदना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।इस दिन गणेश जी के यह 5 चमत्कारी मंत्र आपको हर समस्या से मु्क्ति दिला सकते हैं।आइये जानते हैं कौन से हैं वो मंत्र-
- ॥ ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
- गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
- ॥ ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
- ‘ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।’
- ‘इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः’
गणपति बप्पा पधारे द्वारा… आईये जाने कब और कैसे मनाये गणेश चतुर्थी…