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Home»inspirationl»महात्मा गांधी की सीख
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महात्मा गांधी की सीख

By Archana DwivediUpdated:October 2, 2023
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बात है अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में 27 जनवरी 1928 की । उस दिन आश्रम में एक शादी होने वाली थी पर ना तो कोई बैंड बाजा था और न ही स्वादिष्ट पकवानों का इंतजाम। दुल्हन के लिए आभूषण और सजावट की दूसरी चीज भी कहीं नजर नहीं आ रही थी। यह एक ऐसी मां के बेटे की शादी थी जिसने पति की पढ़ाई के लिए अपने सारे आभूषण बेच दिए थे। उपहार में मिले आभूषण भी उनसे यह कह कर दे दिए कि सार्वजनिक कार्य करने वाले को बाहर मिलने वाली कीमती चीज निजी जीवन में इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए।

वह मां कोई और नहीं बल्कि महात्मा गांधी जी की धर्मपत्नी कस्तूरबा गांधी थी उनके तीसरे बेटे रामदास गांधी की। दक्षिण अफ्रीका में ग्रोव विला से शादी करते समय वहां के लोगों ने उन्हें चांदी और हीरे के उपहार दिए थे। इनमें 400 ग्राम का सोने का हार भी था जिसे कस्तूरबा भविष्य में अपनी बहू के लिए रखना चाहती थी पर ऐसा महात्मा गांधी ने नहीं होने दिया यह अक्टूबर 1902 की बात थी। आज बेटे की शादी के मौके पर भी उन्हें यह कह कर सादगी के लिए तैयार कर दिया गया कि हम जीवन में जो कहते हैं उसे लोग नहीं सुनते जो हम जीते हैं वहीं हर कोई देखता – सीखता है।

महात्मा गांधी के इन मूल्यों को जीने में कस्तूरबा ने कोई हिचक नहीं दिखाई। 27 जनवरी को महात्मा गांधी व कस्तूरबा गांधी के पुत्र रामदास का विवाह था परंतु उनके पास धन की कमी थी जिसके वजह से भी बेहतर इंतजार नहीं कर पाते थे हालांकि उनकी इंतजाम के लिए बहुत से लोग मदद के लिए आगे आए हैं ताकि वह बैंड बाजा बारात और खाने पीने की बंदोबस्त कर सके परंतु महात्मा गांधी जी ने इसके लिए साफ मना कर दिया था महात्मा गांधी जी ने कहा कि अपने पुत्र का विवाह में पूर्ण सादगी से करूंगा क्योंकि ईश्वर ने जो मुझे दिया है मै उसमें खुश हूं। महात्मा गांधी और उनके साथ खड़ी कस्तूरबा गांधी ने अपने बेटे की शादी के जरिए पूरे आश्रम को सदा जीवन उच्च विचार का संदेश दिया। वह संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है और बताता है कि हम श्रेष्ठता पाना चाहते है तो पहले अपने उसूलों को जीवन में उतरना होगा। इस प्रकार महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी जी ने पूरा जीवन बड़ी सादगी के साथ बिताया और एक मिसाल कायम की ।

शिक्षा

इस कहानी से मैं यह शिक्षा मिलती है कि व्यक्ति को ईश्वर जितना दे उसे उतने में खुश रहना चाहिए क्योंकि आपको खुशी आपकी चीजों से मिल सकती है किसी अन्य व्यक्ति की चीजों से नहीं। इसलिए किसी से आशाएं ना रखते हुए अपनी ही चीजों में खुश रहना सीखें और संतोष रखें।

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I’m Archana Dwivedi - a dedicated educator and founder of an educational institute. With a passion for teaching and learning, I strive to provide quality education and a nurturing environment that empowers students to achieve their full potential.

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