एक कहावत तो आपने सुनी होगी कि पढ़ोगे लिखोगे,बनोगे नवाब और खेलोगे कूदोगे तो बनोगे खराब परंतु आज के समय में यह सत्य नहीं रह गया हैं । जिस प्रकार से पढ़ने वाला बच्चा आगे बढ़ रहा है उसी प्रकार से खिलाड़ी भी हमारे देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
खेल एक ऐसा क्षेत्र है जहां आप हराते हुए भी आगे बढ़ सकते हैं- यह कहना है अवनि लेखरा का।
जिंदगी भी ऐसा ही एक क्षेत्र है बशर्ते आप इन मुश्किलों को चैलेंज की तरह देखें और हर हाल में इनसे निपटने का अपना संकल्प बनाए रखें, यह बात कोई और नहीं बल्कि खुद अवनि ही साबित करती है। अवनि सिर्फ बातों से नहीं बल्कि अपनी जिंदगी में अपने संकल्प, दृढ़ इच्छा शक्ति से हासिल की गई अपनी उपलब्धियां से वह इसे साबित कर चुकी है।
अवनि लेखरा का जीवन
8 नवंबर 2001 को जयपुर में जन्मी अवनि बचपन से ही अपने आसपास के आम बच्चों जैसी ही थी। 10 साल तक वह आम बच्चों की तरह खेलती पढ़ती थी और अन्य बच्चों के तेरे बड़े सपने भी देखती थी परंतु परमात्मा को कुछ और ही मंजूर था 11 साल में जिंदगी ने उनके सामने ऐसी चुनौती फेंकी। जिससे उनकी पूरी दुनिया ही बदल गई।
अवनि जब 2012 में दुर्घटना की शिकार हुई तो उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट लग गयी जिसने उन्हें चलने और खड़े होने के लायक नहीं छोड़ा।
इसी चोट के चलते उनमें निराशा छा गई और स्वाभाविक है कि अन्य लोगो कि भांति वे भी हार महसूस करने लगी। अब तक की तमाम सपने उनका साथ छोड़ने लगे थे लेकिन इस स्थिति में भी अवनि ने हथियार नहीं डाले। कहते हैं दुनिया साथ भले ही छोड़ दे पर मां-बाप और भगवान साथ कभी नहीं छोड़ते हैं कुछ ऐसा ही था अवनि के साथ… उनके साथ माता-पिता का स्नेह जो हर हाल में उनका हाथ था जो उनको टूटने नहीं दे रहा था। एक दिन अवनि के पिता ने उन्हें अभिनव बिंद्रा की बायोग्राफी “ए शॉर्ट एट हिस्ट्री ” लाकर पढ़ने को दिया जिसने उनकी जिंदगी को एक नया मोड़ प्रदान कर दिया।
जिंदगी ने लिया एक नया मोड़
अभिनव बिंद्रा की बायोग्राफी पढ़ने के बाद अवनि का लक्ष्य उनके सामने फिर आ खड़ा हुआ। अवनि ने आगे बढ़ने का संकल्प ले लिया। कोच चंदन सिंह के मार्गदर्शन से लैस अवनि की आगे की यात्रा उनके इस संकल्प की मजबूती की मिसाल है। सड़क दुर्घटना के महज 3 साल के अंदर 2015 में हुए नेशनल पैरा ओलंपिक शूटिंग चैंपियनशिप में अवनि ने काँस्य पदक हासिल कर दिखा दिया कि वह हार मानने वालों में से नहीं है। इसके बाद उनकी सफलता का मार्ग बनता ही चला गया। बात कर रहे हैं 2016 में हुए रियो ओलंपिक की जिसमें अवनि ने महिलाओं की 10 मीटर और स्टैंडिंग प्रतियोगिता में चार गोल्ड जीतकर कामयाबी हासिल की वहीं 2017 और 2019 में पैरा शूटिंग वर्ल्ड में सिल्वर मेडल जीतने के बाद 2020 के टोक्यो पैरालंपिक में गोल्ड जीतने वाली देश की पहली महिला बन गई