धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जया एकादशी पर भगवान विष्णु के माधव रूप की पूजा की जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। मान्यता है कि विधि विधान से विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट होते हैं।
जया एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नंदन वन में उत्सव चल रहा था. उस उत्सव में सभी देवी-देवता, संत और दिव्य पुरूष आमंत्रित थे. गंधर्व संगीत गायन कर रहे थे और गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थीं. उसी दौरान गंधर्व माल्यवान और पुष्यवती ने नृत्य प्रारंभ किया. नृत्य करते समय दोनों एक दूसरे पर मोहित हो गए और सभी मर्यादाओं को ताक पर रखकर नृत्य करने लगे. यह देखकर देवराज इन्द्र क्रोधित हो उठे. उन्होंने दोनों को स्वर्ग से निष्काषित कर दिया और धरती पर निवास करने का श्राप दिया.
इंद्र के श्राप की वजह से माल्यवान और पुष्यवती को मृत्यु लोक में पिशाच योनि मिली. दोनों हिमालय पर एक पेड़ पर रहने लगे, उनका जीवन कष्टों से भरा था. माघ मास की एकादशी के दिन दोनों अत्यंत दु:खी थे, उस दिन दोनों ने मात्र फलाहार किया. रात में ठंड बहुत ज्यादा थी और इसी वजह से सो नहीं पा रहे थे और ठंड के कारण दोनों ने रातभर जागरण किया।

भयंकर ठंड की वजह से दोनों की मृत्यु हो गई. लेकिन अनजाने में ही माल्यवान और पुष्यवती से जया एकादशी का व्रत हो गया था. जिसके फलस्वरूप उन्हें भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद दोनों प्राप्त हुए. दोनों को पिशाच योनि से मुक्ति मिल गई. व्रत के प्रभाव से माल्यवान और पुष्यवती पहले से अधिक सुन्दर हो गए और स्वर्ग लोक में पहुंच गए।
जब इंद्रदेव उन दोनों को वहां देखा तो वह चकित रह गए कि मेरा श्राप कैसे अधूरा रह गया. उन्होंने पूछा कि तुम दोनों को पिशाच योनि से मुक्ति कैसे मिली? इस पर माल्यवान ने उनको जया एकादशी के महत्व के बारे में बताया. इससे ही उनको पिशाच योनि से मुक्ति मिली है. यह सुनकर इन्द्र प्रसन्न हुए और उन्होंने इसे भगवान विष्णु का आदेश मानकर माल्यवान और पुष्यवती को स्वर्ग में रहने की अनुमति दे दी।
जया एकादशी व्रत रखने से ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्ति मिलती है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को जया एकादशी का व्रत रखना चाहिए जया एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है एवं भगवान नारायण और माता लक्ष्मी दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जया एकादशी के दिन दान पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए व्यक्ति को एकादशी का व्रत रख करके दान पुण्य करना चाहिए अन्य दान वस्त्रेदन धन-धन आदि अनेक प्रकार के दान करने से नाना प्रकार के आशीर्वाद और सुख शांति की प्राप्ति होती है।