सनातन धर्म के अनुसार प्रत्येक महीने दो एकादशी होती है। एकादशी का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस दिन भगवान नारायण माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है। सनातन पुस्तकों में इससे संबंधित मंत्र उच्चारण ,पूजा विधान को वर्णित किया गया है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आईए जानते हैं कि विजय एकादशी की पूजा का क्या विधान है और उसका शुभ मुहूर्त क्या है –
विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन मास के अनुसार कृष्ण पक्ष की एकादशी की शुरुआत 23 फरवरी को 1:55 पर प्रारंभ होकर 24 फरवरी तक चलेगी इस एकादशी का पारण 25 फरवरी को प्रातः काल 9:00 बजे तक होगा।
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 5:11 से 6:01 तक
विजया मुहूर्त : दोपहर 2:29 से 3:15 तक
निशिता मुहूर्त : 12:02 से 12:59 तक
भगवान विष्णु के मंत्र

विजया एकादशी का महत्व
1.सफलता और विजय – इस एकादशी का नाम ही “विजय” है, जिसका अर्थ है जीत। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को जीवन में सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
2. रामायण से संबंध – कहा जाता है कि जब भगवान श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त करने जा रहे थे, तब उन्होंने इस व्रत को किया था। इसके प्रभाव से उन्हें रावण पर जीत मिली।
3. पापों का नाश – इस दिन व्रत रखने और श्रीहरि विष्णु का स्मरण करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
4. मोक्ष की प्राप्ति – जो भक्त श्रद्धा से इस दिन व्रत और उपवास करते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
5. मनोकामनाओं की पूर्ति – यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है जो किसी कठिन लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं।
एकादशी का व्रत रखने का विधान

एकादशी का व्रत रखने का विशेष विधान है इस दिन भगवान नारायण की है सच्चे हृदय से आराधना करनी चाहिए और मंत्र उच्चारण से उनकी पूजा करनी चाहिए लिए जानते हैं कि भगवान नारायण की पूजा करने का सही विधान और तरीका क्या है –
* प्रातः स्नान कर श्रीहरि विष्णु का पूजन करें।
* व्रत के दौरान फलाहार करें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
* श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की कथा पढ़ें या सुनें।
* भगवान विष्णु के मंत्र उच्चारण का जाप करें
* इस दिन दान पुण्य का विशेष महत्व है।
विजया एकादशी की कथा
त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम अपनी पत्नी माता सीता की खोज में लंका जाने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे, तब उन्होंने देखा कि विशाल समुद्र उनके मार्ग में बाधा बना हुआ है। समुद्र को पार करने का कोई उपाय नहीं दिख रहा था, जिससे वे चिंतित हो गए।
श्रीराम ने अपने गुरु मुनि वशिष्ठ से इस समस्या का समाधान पूछा। वशिष्ठ मुनि ने उन्हें विजया एकादशी का व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इस व्रत के प्रभाव से उन्हें सफलता प्राप्त होगी।
भगवान श्रीराम ने विधिपूर्वक विजया एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु का ध्यान किया। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें समुद्र पार करने का मार्ग मिल गया। भगवान राम ने सेतुबंध (रामसेतु) का निर्माण किया और लंका जाकर रावण का वध कर विजय प्राप्त की।
व्रत का फल:
भगवान विष्णु ने नारद मुनि से कहा, “जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक विजया एकादशी का व्रत करता है, उसे जीवन में सफलता और विजय प्राप्त होती है। साथ ही, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में वह मोक्ष को प्राप्त करता है।”
विजया एकादशी व्रत करने के लाभ:
1. जीवन में सफलता और विजय प्राप्त होती है।
2. सभी पापों का नाश होता है।
3. मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
4. मोक्ष की प्राप्ति होती है।
5. परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
इसलिए, विजया एकादशी का व्रत करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है और भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।