पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 साल के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे।वह किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे।
सत्यपाल मलिक के निधन के बाद तमाम नेता उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। हर कोई उनके योगदान को याद कर रहा है, कृषि क्षेत्र में भी क्योंकि वे काफी सक्रिय रहे, ऐसे में किसान नेता भी उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि दे रहे हैं
आइए जानते हैं कि ये नेता कितने पढ़े-लिखे थे और कैसे उन्होंने अपने करियर में कई बड़े पद संभाले?
पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक का जन्म व शिक्षा दीक्षा
सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को यूपी के बागपत जिले के हिसवदा गांव में हुआ था।वह एक जाट परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनके पिता का नाम बुध सिंह और माता का नाम जगनी देवी था। बचपन में ही पिता का साया उठ गया और मां ने उनका पालन-पोषण किया। पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने मेरठ कॉलेज से बीएससी और एलएलबी की डिग्री हासिल की।1960 के दशक में मेरठ में 5 साल पढ़ाई के बाद 1968-69 में वो छात्र संघ के प्रेसिडेंट बने और यहीं से उनकी राजनीति की शुरुआत हुई।
राजनीति में प्रवेश

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक करियर 1968-69 में छात्र नेता के तौर पर शुरू हुआ। तब वह मेरठ कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे.इसके बाद उनकी दोस्ती चौधरी चरण सिंह से हुई, जिनके साथ उन्होंने 1974 में बागपत से विधानसभा चुनाव लड़ा और पहली बार MLA बने। बाद में वह और चरण सिंह लोकदल में शामिल हुए। चरण सिंह ने उन्हें पार्टी का जनरल सेक्रेटरी बनाया।
1980 में वह राज्यसभा सांसद बने, लेकिन ज्यादा दिन तक वहां नहीं रुके। 1984 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और 1986 में फिर राज्यसभा में वापसी की, लेकिन असली पहचान उन्हें 2018-19 में मिली जब वह जम्मू-कश्मीर के आखिरी गवर्नर बने। उनके कार्यकाल में 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाया गया, जिसने राज्य का खास स्टेटस खत्म कर दिया।
कई बार संभाल राज्यपाल का पद
सत्यपाल मलिक ने अपने करियर में कई राज्यों में गवर्नर की भूमिका निभाई। वह 30 सितंबर 2017 से 21 अगस्त 2018 तक बिहार के गवर्नर रहे। इसके बाद उन्हें 21 मार्च 2018 से 28 मई 2018 तक ओडिशा के गवर्नर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक वह जम्मू-कश्मीर के गवर्नर रहे।
इसके बाद 3 नवंबर 2019 से 18 अगस्त 2020 तक वह गोवा के गवर्नर बने।18 अगस्त 2020 से 3 अक्टूबर 2022 तक वह मेघालय के गवर्नर रहे। जब 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था उस समय वह जम्मू-कश्मीर के गवर्नर थे।