“असफलता से सफलता तक: आरती की IAS यात्रा”
संघर्ष की शुरुआत
आरती एक छोटे से गाँव की साधारण लड़की थी। मिट्टी का घर, सीमित साधन और बड़े सपने — यही उसकी पहचान थी। उसके पिता किसान थे और माँ गृहिणी। गाँव में ज़्यादातर लोग दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ देते थे, लेकिन आरती की आँखों में एक अलग ही चमक थी।
उसने पहली बार स्कूल में अपने शिक्षक के मुँह से “IAS अधिकारी” शब्द सुना और उसी दिन तय कर लिया — “मुझे देश के लिए काम करना है।”
कॉलेज शहर में था। वहाँ न बड़े कोचिंग संस्थान थे, न महँगी किताबें। आरती ने सरकारी लाइब्रेरी को ही अपना कोचिंग सेंटर बना लिया।
सुबह 4 बजे उठना, घर के काम में माँ की मदद करना, फिर पढ़ाई — यही उसकी दिनचर्या थी।
पहला UPSC प्रयास आया…
रिज़ल्ट: असफलता।
गाँव वालों ने कहना शुरू कर दिया,
> “UPSC तो बड़े शहर वालों का एग्ज़ाम है।”
आरती का मन टूटा, लेकिन इरादा नहीं।
बार-बार की असफलता
दूसरा प्रयास — फिर असफल।
तीसरा प्रयास — प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं।
उस रात आरती बहुत रोई। उसे लगा शायद वह काबिल नहीं है।
लेकिन तभी माँ ने बस इतना कहा:
> “बेटी, खेत में फसल एक बार पानी देने से नहीं उगती।”
यही वाक्य उसकी ज़िंदगी का मोड़ बन गया।
रणनीति बदली, मेहनत नहीं
आरती ने अपनी गलतियाँ लिखीं —
सिलेबस को ठीक से नहीं समझा
रिवीजन कम था
उत्तर लेखन अभ्यास नहीं
उसने मोबाइल का सही इस्तेमाल सीखा —
फ्री लेक्चर, नोट्स, करेंट अफेयर्स।
हर दिन लक्ष्य तय किया — थोड़ा, लेकिन पक्का।
सफलता की सुबह
चौथा प्रयास —
प्रीलिम्स क्लियर ✅
मेंस क्लियर ✅
इंटरव्यू के दिन आरती के चेहरे पर आत्मविश्वास था, डर नहीं।
जब रिज़ल्ट आया तो उसका नाम लिस्ट में था —
IAS अधिकारी आरती (AIR ___ )
उस दिन पूरे गाँव ने दीये जलाए।
जो लोग कहते थे “नहीं हो पाएगा”, वही आज कहते थे —
> “हमारी बेटी IAS है।”
कहानी का संदेश (Moral)
असफलता अंत नहीं, संकेत होती है
साधन नहीं, संकल्प बड़ा होना चाहिए
UPSC दिमाग नहीं, धैर्य की परीक्षा है

