भारत ने आज अपना मिशन चंद्रयान- 3 लॉन्च कर दिया है। यह भारत के लिए बहुत ही गर्व का विषय है और इस पर 140 करोड़ भारतीयों को अभिमान है क्योंकि अब भारत बनेगा विश्व गुरु अर्थात चंद्रमा पर अपना सफलतापूर्वक मिशन बन भेजने वाला भारत विश्व में चौथा देश बनने वाला है। इसके पहले तीन देश अमेरिका,रूस और चीन चंद्रमा पर अपने मिशन को सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल रहे हैं।
चंद्रयान -3 मिशन की उड़ान…
चंद्रयान- 3 मिशन आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुक्रवार दोपहर 2:35 बजे लॉन्च कर दिया गया है। इसकी पूर्ण जानकारी इसरो के प्रमुख एस स्वामीनाथन ने दी है। इस चंद्रयान की लंबाई 43.50 मीटर है।
‘बाहुबली’ रॉकेट जो चंद्रयान -3 को ले जाएगा यह अब तक 6 सफल अभियानों को अंजाम दे चुका है । वैश्विक स्तर पर भारत को अपनी शक्ति दिखाने का एक बेहतरीन अवसर है।
क्या है चंद्रयान-3 मिशन?
चंद्रयान 3 मिशन एक स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉडल और एक रोवर शामिल है। 5 अगस्त तक यह मिशन चंद्रमा तक पहुंच जाएगा और उसके बाद रोवर, विक्रम और प्रज्ञान वहां की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेंगे। मिशन में चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचना, लैंडर को उपयोग करके चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए लैंडर से एक रोवर का निकलना और उसका चंद्रमा की सतह पर घूमना इसमें शामिल है।
इसमें लेंडर में चारों कोनों पर चार इंजन लगे होंगे पांचवा इंजन इसमें नहीं लगा होगा जो कि chandrayaan-2 में लगा था। फाइनल लैंडिंग केवल दो इंजन की मदद से ही होगी ताकि दो इंजन आपातकालीन स्थिति में काम कर सके। इस बार बनाए गए चंद्रयान -3 मिशन में चंद्रयान-2 के अपेक्षा कुछ बदलाव किए गए हैं ताकि या आपातकालीन स्थितियों का सामना करके भी सफल सॉफ्ट लैंडिंग कर सकें
इस बार लैंडिंग के लिए इलाका पहले से करीब 50 गुना ज्यादा बढ़ा चुना गया है लैंडिंग की बनावट ऐसी रखी गई है कि उसका एक पाया 2 मीटर ऊंची चट्टान पर पड़ भी जाए तो भी असंतुलित होकर नहीं टूटेगा। क्योंकि चंद्रमा पर हवा नहीं है लिहाजा ना पैराशूट काम करते हैं ना गुब्बारे और ना ही ग्लाइडर नुमा कोई ढांचा। नीचे आने के रफ्तार और दिशा रॉकेट से ही नियंत्रित करनी होती है। Chandrayaan-2 कैलेंडर में 5 रॉकेट लगाए गए थे चार कोनों पर और एक बीच में। जबकि chandrayaan-3 में मात्र चार ही रॉकेट लगाए गए हैं। इसमें से दो काम करेंगे और दो इमरजेंसी के लिए लगाए गए हैं।
जाने क्या है चंद्रयान 3 लॉन्च करने का मकसद…
चंद्रयान 3 मिशन बनाने की पीछे भारत का पहला मकसद तो अपनी चंद्रमा पर अपने मिशन की सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता को प्रदर्शित करना है। इसके साथ ही कुछ महत्वकांक्षी अभियानों के लिए बहुत जरूरी ऑब्जरवेशन भी करे जाएंगे। इसका सबसे प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा की भीतरी सतह और उसके केंद्र के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करना है। यह जानना कि सूरज की भीषण गर्मी चंद्रमा पर कितनी जल्दी और कितनी गहराई तक पहुंच पाती है इसके लिए एक कील को चंद्रमा की सतह पर 10 सेंटीमीटर गाड़ दिया जाएगा और 14 दिन बाद लंबे तीखे चंद्र- दिन में कील के हर हिस्से के लिए तापमान को नोट कर नतीजे निकाले जाएंगे …