Chandrayan-3 Mission : चंद्रयान मिशन 3 के लॉन्च होने के बाद भारत इतिहास रचने की कगार पर है क्योंकि 23 अगस्त को चंद्रयान -3 के चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा की उम्मीद है।यदि ऐसा हो जाता है तो भारत विश्व में चंद्रमा के दक्षिणी पोल पर अपने मिशन की सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला पहला देश बन जाएगा।23 अगस्त को शाम 6:04 पर chandrayaan-3 के लैंडिंग की उम्मीद की जा रही है।
वैज्ञानिक, जिनका chandrayaan-3 मिशन में रहा विशेष सहयोग
चंद्रयान मिशन 3 के निर्माण में इसरो(ISRO- Indian Space Research Organisation) के अध्यक्ष सोमनाथ के अलावा अन्य और भी वैज्ञानिक है जिसका इसमें विशेष सहयोग रहा।
इस मिशन को चलाने वाले प्रमुख व्यक्तियों में इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ, परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल, वीएसएससी निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर और यूआरएससी निदेशक एम शंकरन शामिल हैं।
ऋतु करिधाल, जिन्हें इस मिशन में अहम् जिम्मेदारी सौंपी गई है।चंद्रयान-3 की लैंडिंग की ज़िम्मेदारी महिला वैज्ञानिक ऋतु करिधाल को सौंपी गई है। ऋतु करिधाल चंद्रयान 3 की मिशन डायरेक्टर के रूप में अपनी भूमिका निभाएंगी।
सबसे पहले चंद्रमा पर जाने वाला व्यक्ति
अमेरिका के नील आर्मस्ट्रॉन्ग चंद्रमा पर उतरने वाले पहले व्यक्ति थे उसके बाद से गैर-मानव मिशनों की होड़ सी लग गई। पृथ्वी और ब्रह्मांड के इतिहास का अध्ययन करने के लिए चंद्रमा वैज्ञानिकों का एक लक्ष्य बन चुका है।
क्यों भेजे जाते हैं जाते हैं- चंद्रयान मिशन…
चंद्रमा पर मिशन भेजने के उद्देश्यों को लेकर नासा की वेबसाइट कहती है कि चंद्रमा पृथ्वी से बना है और यहां पृथ्वी के प्रारंभिक इतिहास के साक्ष्य मौजूद हैं। हालांकि, पृथ्वी पर ये साक्ष्य भूगर्भिक प्रक्रियाओं की वजह से मिट चुके हैं।
नासा के मुताबिक, चंद्रमा वैज्ञानिकों को प्रारंभिक पृथ्वी के नए दृष्टिकोण प्रदान करेगा। चंद्रमा की आंतरिक स्थितियों को को जानने तथा वहां पर पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली और सौर मंडल कैसे बने और विकसित हुए जैसे सवालों के जवाब वैज्ञानिकों मिल सकते हैं। इसके साथ ही पृथ्वी के इतिहास और संभवतः भविष्य को प्रभावित करने में क्षुद्रग्रह प्रभावों की भूमिका के बारे में भी पता लगाया जा सकता है।
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