बिरसा मुंडा छोटा झारखंड के छोटा नागपुर क्षेत्र के रहने वाले थे जिन्हें आदिवासियों का सेनानायक भी कहा जाता है। क्योंकि उन्होंने आदिवासियों के अधिकारों के लिए अनेक आंदोलन भी किए। प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को बिरसा मुंडा दिवस मनाया जाता है इस दिवस को मनाने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।
सेनानायक बिरसा मुंडा का परिचय
आदिवासियों के महानायक बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के आदिवासी दम्पति सुगना और करमी के घर हुआ था। भारतीय इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक थे, जिन्होंने भारत के झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया।
बिरसा मुंडा का जीवन और कार्य:
बिरसा मुंडा के मुख्य कार्य:
बिरसा मुंडा ने अपनी उम्र के 25वें वर्ष में ही आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू कर दिया था। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह किया और आदिवासी समुदाय को संगठित किया।
- आदिवासी अधिकारों की लड़ाई
- ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह
- आदिवासी समुदाय का संगठन
- स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
बिरसा मुंडा की जयंती:
बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को मनाई जाती है, जिसे बिरसा मुंडा जयंती कहा जाता है। यह दिन आदिवासी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, और इस दिन को आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मनाया जाता है।
बिरसा मुंडा जयंती का महत्व:
- आदिवासी अधिकारों की लड़ाई की याद
- स्वतंत्रता संग्राम में योगदान की याद
- आदिवासी समुदाय के लिए प्रेरणा
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की याद
बिरसा मुंडा की मृत्यु:
बिरसा मुंडा की मृत्यु 9 जून 1900 को हुई थी, जब वे केवल 25 वर्ष के थे। उनकी मृत्यु के बाद, आदिवासी समुदाय ने उन्हें शहीद के रूप में सम्मानित किया।
आज भी, बिरसा मुंडा की जयंती आदिवासी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, और इस दिन को आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मनाया जाता है।