संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित विश्व युवा कौशल दिवस (World Youth Skills Day) की यह 10वीं वर्षगांठ (2025) है। इस वर्ष की थीम है:
“AI और डिजिटल कौशल के माध्यम से युवाओं का सशक्तिकरण
इस बदलती दुनिया में युवा सिर्फ नौकरी खोजने वाले नहीं, डिजिटल बदलाव के भागीदार बन सकते हैं — अगर उनके पास सही स्किल्स हों।
AI: अब सिर्फ तकनीक नहीं, ज़रूरत बन चुकी है
AI अब स्कूलों से लेकर दफ्तरों और खेतों तक पहुंच चुका है। लेकिन क्या युवाओं को इसके लिए तैयार किया जा रहा है, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस कहते हैं:
“जैसे-जैसे AI हमारी दुनिया को नया आकार देता है, युवाओं को केवल शिक्षार्थी नहीं, बल्कि एक न्यायसंगत डिजिटल भविष्य के सह-निर्माता के रूप में देखा जाना चाहिए।”
कुछ सच्चाईयाँ जो हमारी चिंता बढ़ाती हैं
- दुनियाभर में 450 मिलियन युवा बेरोज़गार या आर्थिक रूप से निष्क्रिय हैं।
- 86% युवा खुद को AI-युक्त वर्कप्लेस के लिए तैयार नहीं मानते।
- 90% किशोर लड़कियाँ, खासकर कम आय वाले देशों में, इंटरनेट से वंचित हैं।
- 2022 में, 40% से अधिक युवा न नौकरी में थे, न शिक्षा में, न किसी ट्रेनिंग में।

स्किल है तो राह है’: छोटे प्रशिक्षण, बड़े परिणाम और भारत के लिए बड़ी उम्मीदें
गाम्बिया के अलहादगी फाल की तरह, जिन्होंने केवल तीन महीने की कृषि ट्रेनिंग से खुद को सफल उद्यमी में बदला, भारत के युवाओं के पास भी वही संभावना है। हमारे यहां जनसंख्या है, उत्साह है-अब ज़रूरत है डिजिटल, तकनीकी और व्यावसायिक कौशल की। TVET संस्थानों को ट्रेड स्कूल से आगे बढ़ाकर डिजिटल लर्निंग हब बनाया जाए, तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि वैश्विक स्किल एक्सपोर्टर के रूप में भी उभर सकता है। संयुक्त राष्ट्र की “शिक्षा 2030” योजना तब ही साकार होगी, जब हर युवा को AI, डेटा, साइबर सुरक्षा और डिजिटल एथिक्स में दक्षता दी जाए।