वर्ष 2018 के बाद नेशनल पार्कों में बाघों की संख्या तथा अन्य पशुओं की संख्या में वृद्धि होती देखी जा रही है
असम मानस नेशनल पार्क टाइगर रिजर्व में गैंडो और बाघों की आबादी में तेज वृद्धि होती देखी गई। International tiger reserve की रिपोर्ट के अनुसार बाघों की संख्या में यह वृद्धि 2018 में इसके पहले देखी गई थी। जिसमें रिपोर्ट के अनुसार में बाघों की संख्या 2967 दर्ज की गई थी इनमें से 1,492 बाघ मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड में हैं।
टाइगर रिजर्व सर्वेक्षण जाने कितने सालों बाद किया जाता है
हम आपको बता दें कि बाघों की संख्या में हुई वृद्धि या कमी को प्रत्येक 4 साल बाद रिकॉर्ड किया जाता है। सबसे पहले वर्ष 2006 में इसके आंकड़े निकाले गए थे।
देश में बाघों की संख्या सालाना छह प्रतिशत की औसत दर से बढ़ रही है और चार में से तीन भौगोलिक क्षेत्रों में वर्ष 2006 की तुलना में 2018 में बाघों की संख्या 2967 दर्ज की गई उम्मीद है कि 2022 में होने वाली जनगणना में बाघों की संख्या में और ज्यादा वृद्धि दर्ज की जा सकती है क्योंकि जिस प्रकार से असम राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या बढ़ रही है तो नई रिपोर्ट में इसमें वृद्धि दर्ज होगी यह कहना अनुचित नहीं होगा।
मानस राष्ट्रीय उद्यान से संबंधित प्रमुख बिंदु
- 2010 में इस बार कि बाघों की आबादी 10 दर्ज की गई थी जबकि 2020 में यह बढ़कर 30 हो गई यह रिपोर्ट केवल मानस राष्ट्रीय उद्यान की है जबकि इंटरनेशनल टाइगर रिजर्व की रिपोर्ट के अनुसार इसकी संख्या 2018 में 2967 है।
- मानस राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों को उम्मीद है कि 2021 की जनगणना के अनुसार बाघों की आबादी 48 से बढ़कर 60 हो गई है।
गैंडो की जनसंख्या
इस पार की की गेंडे आबादी में भी वृद्धि देखी गई है इंडियन राइनो विजन 2020 के तहत असम सरकार ने 2005 में मानस नेशनल पार्क में गैंडो को फिर से लाने का फैसला किया और 2006 में काजीरंगा के पास सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ रिहैबिलिटेशन एंड कंजर्वेशन(CWRC) से पहले गेंडे को पार्क में स्थानांतरित किया गया था
मानस राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
मानस नेशनल पार्क एक राष्ट्रीय उद्यान है जिसे यूनेस्को नेचुरल वर्ल्ड हेरिटेज साइट , हाथी रिजर्व , प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व और बायोस्फीयर रिजर्व का दर्जा दिया गया
या असम की हिमालय की तलहटी में स्थित है और भूटान के रॉयल मानस नेशनल पार्क से सटा हुआ है यहां अपने पार्क में लुप्त प्राय और दुर्लभ स्थानिक वन्यजीव जैसे हरपुर खरगोश, पिग्मी हॉग गोल्डन अंगूर के लिए प्रसिद्ध है । हम आपको बता दें कि मानस राष्ट्रीय उद्यान भारत का एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान है अन्य जीवो के अतिरिक्त या राष्ट्रीय उद्यान अपने जंगली भैंसों की आबादी के लिए भी प्रसिद्ध है एक सींग वाले गैंडे भी क्षेत्र में पाए जाते हैं