Close Menu
  • 🏠 होम
  • देश
  • धर्म
  • प्रेरणादायक
  • रोचक तथ्य
  • लाइफस्टाइल
  • वीमेन डायरी
  • हेल्थ एंड ब्यूटी
    • योग
    • होम्योपैथी
  • इंडिया मित्र सीरीज
    • लॉकडाउन के सितारे
    • गुदड़ी के लाल
Facebook X (Twitter) Instagram
  • About
  • Contact
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
Facebook X (Twitter) Instagram
India MitraIndia Mitra
Download Our App
  • 🏠 होम
  • देश
  • धर्म
  • प्रेरणादायक
  • रोचक तथ्य
  • लाइफस्टाइल
  • वीमेन डायरी
  • हेल्थ एंड ब्यूटी
    • योग
    • होम्योपैथी
  • इंडिया मित्र सीरीज
    • लॉकडाउन के सितारे
    • गुदड़ी के लाल
India MitraIndia Mitra
Home»Aapda Ke Asli Nayak»आपदा के असली नायक: जिन्होंने त्रासदी में अपने निजी वाहन को बनाया, नि:शुल्क शव वाहन
Aapda Ke Asli Nayak

आपदा के असली नायक: जिन्होंने त्रासदी में अपने निजी वाहन को बनाया, नि:शुल्क शव वाहन

By Editorial StuffUpdated:May 23, 2021
Facebook WhatsApp Twitter Telegram Pinterest LinkedIn Email
Share
Facebook WhatsApp Twitter Telegram LinkedIn Pinterest Email

लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में न भूलने वाले अनुभव दुख और तकलीफे दे गई है। शायद नजाकत और नफासत के शहर लखनऊ में पहली बार ऐसा हुआ की संक्रमण होने के डर से पड़ोसी के मौत पर पड़ोसी अंतिम संस्कार में शामिल होने से घबराते रहे। संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रदेश सरकार को अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले लोगों की संख्या निर्धारित करनी पड़ी।

वही एक बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की मौत भी हुई जिन्हें अंतिम समय मे चार कांधे भी नसीब नहीं हुए।इस जानलेवा त्रासदी के बीच लखनऊ शहर के कुछ ऐसे सामाजिक चेहरे उभरकर सामने आए जिन्होंने इस त्रासदी में घर में बैठने के बजाय अपनी जान खतरे में डालकर लोगो की मदद करने का फैसला किया और बिना किसी से आर्थिक सहायता के अपनी जमा पूंजी से लोगो की मदद करते रहे।

साल 2021 के अप्रैल-मई महीने का अगर कही कोई इतिहास लिखा गया तो ये चेहरे निश्चित रूप से समाज के असली नायकों के चेहरे होंगे, और शहर इन्हें याद रखेगा। देश के यूथ मीडिया प्लेटफार्म “इंडिया मित्र” द्वारा “आपदा के असली नायक” सीरिज के तहत आज आपको मिला रहे है लखनऊ के समाज सेवक रंजीत सिंह से जिन्होंने “वन मैन आर्मी” कहावत को चरितार्थ कर दिया है। उत्तर प्रदेश के राजधानी लखनऊ के मनकामेश्वर वार्ड के निवासी रंजीत सिंह एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से आते है।

छात्र जीवन से ही सामाजिक कार्यों में रूचि रखने वाले रणजीत को चाहने वाले लोगों की संख्या भी कम नहीं है, साथियों और शुभचिंतको के आग्रह पर रणजीत ने लखनऊ के मन कामेश्वर वार्ड से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पार्षद का चुनाव लड़े और बहुमत से जीते , कई बार पार्षद रहे रणजीत सिंह इस समय पूर्व पार्षद है और समाज सेवा में सक्रिय है। वर्तमान समय में मनकामेश्वर वार्ड में रणजीत सिंह की पत्नी रेखा रणजीत पार्षद के दायित्व को निभा रहीं है।

समाज सेवा में पहले से ही सक्रिय

लखनऊ में विगत कई वर्षो से गोमती नदी की हर सप्ताह रविवार को नियमित सफाई और लखनऊ शहर में परित्यक्त और पीपल , बरगद वृक्षों के नीचे सड़क के किनारे विसर्जित की जाने वाले मूर्तियों पूजा सामग्री को पूरे शहर से इक्कट्ठा करके उन्हें गोमती किनारे सम्मान जंनक तरीके से विसर्जित कराने का श्रेय भी रणजीत सिंह को जाता है। इन मूर्तियों के विसर्जन के लिए रणजीत सिंह ने नगर निगम लखनऊ के सहयोग से एक विसर्जन स्थल का भी निर्माण कराया हैं। गोमती सफाई के लिए रणजीत सिंह द्वारा शुरू की गयी पहल को लखनऊ के जागरूक नागरिको का भरपूर समर्थन मिला और अब गोमती तट की साफ सफाई के साथ पर्यावरण सेना के लोग गोमती आरती भी कर रहे है।

यह भी पढ़े : सुधा मूर्ति, जिनके दिए 10000 रुपए से खड़ा हुआ Infosys का साम्राज्य! | सुधा मूर्ति बायोग्राफी।

मेरे शहर के लोग ऐसे न थे …

रणजीत सिंह बताते है,” मेरे शहर के लोग ऐसे कभी नहीं थे की किसी की मुसीबत में न खड़े हो , हमारे लखनऊ के लोग ऐसे रहे है कि कोई अगर रास्ता पूछ ले तो वक्त हुआ तो कहों घर तक छोड़ कर आये। लेकिन इस बार कोरोना नाम की इस मुसीबत ने लखनऊ का समाजिक ताना-बाना तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रणजीत कहते है ,” दुर्भाग्य से ऐसे शवो का अंतिम संस्कार कराना पड़ा जिनके करीबी रिश्तेदार तक अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हुए।

इतनी जिन्दगी में पहली बार मैंने और तहजीब के शहर लखनऊ ने शायद पहली बार ऐसा वक्त देखा होगा की जब अर्थी/मिटटी के पीछे चलने वालो लोगों की संख्या 4 से भी कम हुई होगी। रणजीत बताते है,” राजाजीपुरम के एक बतौर सरकारी शिक्षक कार्यरत त्रिवेदी परिवार में एक साथ सबको कोरोना हो गया और परिवार के सदस्य अलग अलग अस्पतालों में एडमिट थे। खुद त्रिवेदी जी भी कोरोंना पाजिटिव थे और इस दौरान उनके माताजी की कोरोना से मौत हो गयी। किसी परिचित के माध्यम से उन्होंने मुझे फोन करके मदद मांगी, उस अंतिम संस्कार में माताजी के शव के साथ सिर्फ मास्टर साहब थे । मास्टर साहब और मैंने मिलकर माताजी का अंतिम संस्कार तो करा दिया पर सामाजिक व्यवस्था कोरोना ने कैसे खत्म किया अर्थी में चार लोग तक नहीं , तकलीफ होती है कि हम कहाँ से कहाँ आ गये है।”

यह भी पढ़े : क्या हुआ जब अमेरिका के राष्ट्रपति ने की टाईपिस्ट की नौकरी

बिटिया की लाश को घर नहीं ले गये …

रणजीत सिंह ने बताया,” अब तक पचास से अधिक लोगो की अन्तेयष्टि नि:शुल्क शव् वाहन से ले जाकर कराई और ये काम मै खुद करता हूँ , कोरोना संक्रमण के इस दौर में किसी और को साथ लेकर उसकी जान खतरे में डालने से भी कोई फायदा नही।

रणजीत आगे बताते है , कुछ ऐसी घटनाये भूली न जाएँगी, अभी कुछ रोज पहले लखनऊ के मोहनलाल गंज उतराठिया निवासी किशन शुक्ला (बदला हुआ नाम) की 14 साल की बेटी को तेज बुखार आया और घरवालों ने उसे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया इलाज के दौरन उसकी मौत हो गयी, सिविल अस्पताल के एक वार्डबॉय (हसन) जिसे जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए मैंने अपना फोन दें नम्बर रखा था उसने फोन करके मुझे इस परिवार के बारें में जानकारी दी।

कुछ देर बाद मै सिविल पहुंचा तो उस परिवार की गरीबी और तंगहाली देख बहुत तकलीफ महसूस हुई, खैर मैंने परिवार के लोग मृतक लड़की की माता-पिता दो लोग और से पूछा की मिटटी को कहाँ ले जायेंगे तो उन्होनो कहाँ की किसी तरह यही अंतिम संस्कार करवा दीजिये , भैसाकुंड ले जाकर अंतिम संस्कार करवाया जिसके बाद कोई साधन उपलब्ध न होने और और उनकी तकलीफ को देखते हुए उनलोगों को उतराठिया तक छोड़ना मुनासिब समझा।

यह भी पढ़े : महात्मा गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानियाँ

इस आपदा में भी मानवता को किनारे रख पैसा बनाते रहें लोग …

रणजीत ने बताया की एक घटना सामने आई, “ लखनऊ निवासी मनोज कुमार ( परिवर्तित नाम ) की बेटी और दामाद गुडगाँव में रहते थे, बेटी को कोरोना हो गया तो ससुराल वाले उसे लेकर इलाज के लिए दिल्ली आये लेकिन दिल्ली में कोई अस्पताल नहीं मिल पाया तो मनोज जी ने अपनी बेटी को इलाज के लिए दिल्ली से लखनऊ बुला लिया और बलराम पुर अस्पताल में भर्ती कराया जहाँ तीन-चार दिन भर्ती रहने और इलाज के दौरान बेटी की मौत हो गयी और उसकी एक महीने की बिटिया भी है। फेसबुक से नम्बर लेकर अंकल जी ने मुझे फोन किया ।उनकी बेटी का शव ले जाकर अंतिम संस्कार कराया , लौटते हुए मनोज जी ने बताया की बेटी को बचानें के लिए जमा पूंजी खर्च कर दी , बेटी को दिल्ली से लखनऊ लाने का किराया बिना आक्सीजन किट वाली एम्बुलेंस ने 80 हजार रूपये चार्ज किया।

ये पूछने पर की दो बार कोरोना पाजिटिव होने के बाद भी आप ये काम क्यों कर रहे डर नहीं लगता ? रणजीत सिंह हँसते हुए जवाब देते है “ मुझे ज्यादा कुछ ज्ञान तो नहीं है पर ये पता है कि मौत इन्सान को कहीं भी ढूढ़ लेती है, डरकर बैठना और लोगों की मदद न कर पाने की आत्मग्लानि में कुढने से अच्छा है कि बाहर निकल कर लोगों की मदद की जाए , मौत से किसकी यारी है , आज मेरी कल तेरी बारी है।

अपील : अगर आप भी ऐसे किसी आपदा के असली नायक के बारे में जानते है , तो बेहिचक हमे उनकी कहानी उनके फोटोज के साथ लिख भेजे – हमारी ईमेल आईडी है – stories@indiamitra.com (आप कोई खबर भी हमे इस पर भेज सकते है )

नोट : इंडियामित्र के लिए लिखने के लिए हमसे कांटेक्ट करे : contact@indiamitra.com

Like this:

Like Loading...

Related

Share. Facebook WhatsApp Twitter Telegram Pinterest LinkedIn Email
Previous Articleअंतिम ऊँचाई – कविता
Next Article दुकान के पैतीस सौ रूपये जमा पूँजी से करा दिया सैनीटाईजेशन.. पैसे खत्म हुए तो मुख्यमंत्री कार्यालय और स्थानीय पार्षद, विधायक ने की मदद  
Editorial Stuff

We publish the top articles daily for our Readers through our team, keep your support like this.❤️️

Related Posts

Neelesh Mishra will travel across the country to tell the story

November 20, 2023

कहानी सुनाने के लिए देश भर की यात्रा करेंगे नीलेश मिश्रा

November 20, 2023

सस्ते दामों में शॉपिंग करने के लिए जाए लखनऊ के इन फेमस शॉपिंग मॉल: जहां कर सकते हैं अच्छी खरीददारी….

November 3, 2023
लेटेस्ट स्टोरीज

“दीवाली की सफाई: पवित्रता, समृद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक”

October 14, 2025

The Secret Lesson from Potatoes, Eggs, and Coffee

October 13, 2025

जाने यह कैसे करें घर की सफाई.. जिससे लक्ष्मी माता की प्राप्त हो पूर्ण कृपा

October 12, 2025

तेनालीराम की कहानी : लालची ब्राह्मण

October 11, 2025
उत्तर प्रदेश

15 अगस्त 1947( स्वतंत्रता दिवस ) क्यों मनाते हैं यह दिवस.. जाने इसका  कारण व महत्व …

August 14, 2025

खास रिपोर्ट | मोबाइल पर रील देखना पड़ सकता है भारी, बढ़ रहे हैं नए किस्म के साइबर ठगी के मामले

August 2, 2025

डिजिटल अरेस्ट” का सच: एक क्लिक में कैसे लुट जाती है ज़िंदगी?

July 22, 2025

यूपी सरकार ने शुरू की नई योजना बिना ब्याज,बिना गारंटी के मिलेगा ₹5 लाख तक का लोन, जानिए स्कीम के बारे में सब कुछ….

July 21, 2025
सरकारी योजनाये

आयुष्मान भारत मिशन क्या है, आयुष्मान कार्ड कैसे बनवाये

August 24, 2023

क्या आप जानते हैं?.. क्या है उत्तर प्रदेश सरकार की ” परिवार कल्याण कार्ड योजना”

August 25, 2022

विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज व आवेदन की प्रक्रिया

May 4, 2022

उत्तर प्रदेश विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना 2022

May 4, 2022

News

  • World
  • US Politics
  • EU Politics
  • Business
  • Opinions
  • Connections
  • Science

Company

  • Information
  • Advertising
  • Classified Ads
  • Contact Info
  • Do Not Sell Data
  • GDPR Policy
  • Media Kits

Services

  • Subscriptions
  • Customer Support
  • Bulk Packages
  • Newsletters
  • Sponsored News
  • Work With Us

Subscribe to Updates

Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

© 2025 India Mitra | All Rights Reserved. Designed by RG Marketing.
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

%d