समय : दोस्तों जैसा आप सभी जानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति की जिंदगी में बड़े से बड़े संघर्ष आते रहते हैं और हर व्यक्ति संघर्षों का सामना करता है बस अंतर इतना होता है कि कोई “उससे निखर जाता है और कोई संघर्षों से बिखर जाता है ।” इसी के साथ आज हम आपसे बात करने वाले हैं समय के बारे में समय जो कभी रुकता नहीं है परंतु मनुष्य रुक जाता है आखिर ऐसा क्यों होता है आइए जानते हैं
मृत्यु के बाद स्वयं के नाम के आगे स्वर्गस्थ रखवाने के लिए हमें केवल मरना पड़ता है लेकिन अपने जीवन काल के दौरान स्वर्गस्थ लिखवाने के लिए जिंदगी भर अपने से संघर्ष करना होता है। लोगो के व्यंग्यात्मक पर प्रहार सहने होते हैं। संघर्ष प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में होते हैं जो उसे कुछ न कुछ सिखा कर जाते हैं बस अंतर होता है व्यक्ति के विचारों का, उसके दृष्टिकोण का कि वह व्यक्ति उसको किस तरीके से लेता है। संघर्ष भरे दौर में भी हमें हिम्मत नहीं होनी चाहिए बल्कि हर परिस्थितियों का दृढ़ता से सामना करना चाहिए। कभी संघर्ष को ऐसे पढ़ कर देखें- संघ + हर्ष। उसके बाद आपका आत्मविश्वास कितना ज्यादा बढ़ जाएगा।
बस फिर समझिए आप की दुनिया बदल जाएगी
ठोकर खाकर गिरना ,फिर खुद ही खुद को संभालना संभल कर चलना यही संघर्ष है।
यही जीवन का सत्य है कभी चलना ,तो कभी गिरना,
कभी समस्या, तो कभी समाधान ही जिंदगी
सभी सम्मान , तो कभी बलिदान है जिंदगी,
संघर्ष ,विघ्न ,जिम्मेदारियां यही तो खूबसूरती है जीवन की।
कभी उच्च शिखर तो कभी गहरी ढलान है जिंदगी।।
जिंदगी में कठिनाइयां हमें बर्बाद करने नहीं आती है बल्कि यह हमारी छुपी हुई ताकत को बाहर निकालने में हमारी मदद करती है । यह हमे सिखाती है की मुश्किलों को दिखा दो कि इनको हम उनसे भयभीत नहीं होते हैं, बल्कि उनकी अपेक्षा कहीं अधिक शक्तिशाली है।
दोस्तों महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने कहा है- हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हार मान लेना है।
सफल होने का सबसे निश्चित तरीका है, हमेशा एक और बार प्रयास करना चाहिए। जो व्यक्ति आपत्ति- विपत्ति से घबराता नहीं। प्रतिकूलता के सामने झुकता नहीं, समस्याओं से मुंह नहीं मोड़ता और दुख को भी प्रगति की सीढ़ी बना लेता है, ऐसे वीर पुरुष के साहस को देखकर असफलता भी घुटने टेकने पर मजबूर हो जाती है। और रह गया समाज, तो समाज के द्वारा फेंकी गई व्यंग्यात्मक पत्थरों से आप घबराएं नहीं बल्कि उनके पत्थरों से आप सीढ़ी बनाएं जिस पर चढ़कर आप अपने शिखर तक पहुंच सकते हैं । तो अब आपको लोगो के व्यंग्यात्मक प्रहार से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।
सफल होने के लिए तो बस आपका आत्मविश्वास ही काफी है और साथ ईश्वर पर भरोसा रखें कि वह आपको सफल अवश्य करेंगे अपने इश्वर पर उसी प्रकार से भरोसा करें जिस प्रकार से एक छोटा सा बच्चा हवा में उठा ले जाने पर अपने पिता के ऊपर भरोसा करता है कि उसका पिता उसको गिरने नहीं देगा उसी प्रकार से आप परमात्मा पर भरोसा रखें कि चाहे कितनी ही गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो जाए परंतु विधाता आपको गिरने नहीं देगा वह आपका साथ अवश्य देगा और आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाएगा।
संघर्षशील व्यक्ति कुछ सीखे या ना सीखे पर अपने संघर्ष से वह गम होते हुए मुस्कुराना सीख जाता है। संघर्ष की जमीन पर घिसकर मंजिल तक पहुंचने वाला कभी घमंड के बादल पर सवार नहीं होता है । वह कभी आराम करने की नहीं सोचता है क्योंकि वह जानता है कि समय कोई अवकाश दिवस नहीं देता है समय कभी रुकता नहीं है हमें जीवन में इतना तो संघर्ष कर ही लेना चाहिए कि अपने बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए हमें दूसरों का उदाहरण ना देना पड़ेगा बल्कि उनके लिए हम स्वयं एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत हो सके।
संघर्ष की बात को आगे बढ़ाते हुए स्वामी विवेकानंद जी के कथन के द्वारा हम यहां पर स्पष्ट करना चाहेंगे कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि उठो ,जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य तक ना पहुंच जाओ।
भविष्य में क्या होने वाला है वह निश्चित है कुछ अगर निश्चित है तो वह है हमारा अपना संघर्ष और पुरुषार्थ। सफलता तभी मिलेगी जब आप संघर्ष करेंगे जिस प्रकार भीमराव अंबेडकर जी ने संघर्ष किया अंततः वे सफल भी हुए।
सफलता मिलेगी या नहीं इसकी चिंता छोड़कर केवल अपना काम करते रहो जैसा कि गीता में भी कहा गया है कि कर्म की चिंता करें फल कि नहीं। क्योंकि फल ईश्वर के हाथ में है और वह अपने अनुसार निर्णय लेकर आपको आपके कर्म का फल अवश्य देगा। सफलता मिल या नहीं मिली तो भी मन को इतना संतोष तो रहेगा कि जितना हम कर सकते थे हमने किया । यह संतोष भी एक प्रकार की सफलता ही है।
अमेरिकी सिंगर स्टीव वंडर ने कहा कि जीवन का अर्थ केवल संघर्ष में है जीत या हार भगवान के हाथ में है इसलिए चलो संघर्ष का जश्न मनाए इस संघर्ष और विश्वास से हमें नई ताकत नया विश्वास नहीं उर्जा मिलती है। कभी-कभी उस उपलब्धि से हम स्वार्थी तो हो जाते हैं हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम ऐसी दिशा में अग्रसर हो जहां से मिले सद्गुणों से इंसान का मानवीय चेहरा चमकने लगे। सामने खड़ी अशिक्षा, कुपोषण और जीने की अन्य सुविधाओं के अभाव की विभीषिका समाप्त हो। जीवन की उच्चतर मूल्य हमारा लक्ष्य बने।
वर्तमान में इंसान का अपना प्रिय जीवन संगीत टूट गया, वह निजी एकांत खो रहा है। वह अपने से , अपने लोगों से और प्रकृति से कटता जा रहा है। परिवर्तन की संधि बेला में इस भूमंडलीकरण आर्थिक आजादी और आक्रामकता के दौर में एक ऐसी मानवीय संरचना की आवश्यकता है जहां इंसान और उसकी इंसानियत दोनों बरकरार रहे इसके लिए संघर्ष करते रहना चाहिए यही सफलता की सूत्रधार है