एक गाँव में एक बहुत ही बुद्धिमान बुज़ुर्ग व्यक्ति रहते थे। उनके घर के सामने एक बहुत पुराना बरगद का पेड़ था — विशाल, घना और गहराई तक धरती में फैला हुआ।
एक दिन गाँव के कुछ लड़के उस पेड़ के नीचे खेल रहे थे। तभी तेज़ आँधी और बारिश शुरू हो गई। चारों ओर पेड़ गिरने लगे, झोपड़ियाँ उड़ गईं, पर वह बरगद का पेड़ ज़रा भी नहीं हिला।
जब बारिश थमी, तो एक लड़के ने आश्चर्य से पूछा —
“बाबा, ये पेड़ इतने तूफ़ान में भी कैसे नहीं गिरा?”
बाबा मुस्कुराए और बोले —
“बेटा, इस पेड़ की शाखाएँ ऊपर जितनी फैली हैं, उसकी जड़ें धरती में उससे भी ज़्यादा गहराई तक गई हैं।
यही इसका आधार है।
जिसका आधार मज़बूत होता है, उसे कोई भी आँधी हिला नहीं सकती।”
लड़का बोला —
“बाबा, इंसान का आधार क्या होता है?”
बाबा ने उत्तर दिया —
“इंसान का आधार उसके संस्कार, मेहनत, और आत्मविश्वास होते हैं।
अगर ये मज़बूत हैं, तो जीवन के किसी भी तूफ़ान में तुम गिरोगे नहीं।”
फिर बाबा ने कहा —
“आजकल लोग ऊँचाई पर तो जाना चाहते हैं, लेकिन जड़ें मज़बूत नहीं बनाते।
वे सफलता की शाखाओं पर तो चढ़ना चाहते हैं, पर मेहनत की जड़ों को सींचना भूल जाते हैं।”
लड़के ने गहराई से सोचा और बोला —
“अब समझ आया बाबा — जो अपने भीतर मेहनत, ईमानदारी, और धैर्य की जड़ें मजबूत कर लेता है, वही जीवन में बरगद के पेड़ की तरह अडिग रहता है।”
बाबा मुस्कुराए और बोले —
“सही कहा बेटा, ऊँचाई पाने के लिए नहीं, जड़ें गहराई तक जाने के लिए मेहनत करो — ऊँचाई अपने आप मिल जाएगी।”
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 संदेश:
> “जीवन की सबसे बड़ी सफलता ऊँचाई में नहीं, आधार की गहराई में छिपी होती है।”

 
									 
					