आज तक आपने हजारों सफलताओं की कहानी सुनी होगी हजारों लोगों के संघर्ष की कहानी सुनी होगी हम आज आपको एक ऐसी ही कहानी बताने वाले हैं जिसे पढ़कर आपका आत्मविश्वास भी बढ़ जाएगा और आप भी कुछ भी कर सकते का दृढ़ निश्चय लेंगे। यह कहानी है बिहार की रहने वाली नीतू की, जिन्होंने पहले ही प्रयास में पास की यूजीसी नेट की परीक्षा। आईए जानते हैं कि क्या है इनके सफलता की कहानी…..
नीतू का संघर्ष
बिहार को मेहनत करने वालों की फैक्ट्री कहा जाता है, यहां के लोग बहुत ही मेहनती और प्रतिभा से भरे होते है। बिहार में टैलेंट की कोई कमी नहीं है। ऐसी ही कहानी है बिहार के छोटे से गांव की प्रतिभाशाली महिला की जिन्होंने घर संभालते हुए अपना सपना पूरा किया। बिहार के मधेपुरा ज़िले के एक सुदूर गांव रामनगर महेश की एक हाउसवाइफ ने पहले ही प्रयास में यूजीसी नेट जून 2025 की परीक्षा पास कर ली।
अपने घर और बच्चों को संभालते हुए, तमाम बाधाओं से लड़ते हुए उन्होंने ये उपलब्धि हासिल की।एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी जर्नी के बारे में बताया जो किसी भी महिला के लिए प्रेरणा बन सकती है।
खुद की नोट्स से की तैयारी, कई बार रिवीजन किया
मैंने किसी भी मानक किताब पर भरोसा नहीं किया, मैंने पूरी तरह से अपने शिक्षक द्वारा दिए गए नोट्स पर फोकस किया। उनके लेक्चर और शॉर्ट नोट्स तैयार कर पढ़ाई करती थी। इसके अलावा मैने रिवीजन काफी किया था।किसी भी परीक्षा को निकालने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ रिवीजन काफी जरूरी होता है। नीतू बताती हैं कि ससुराल में रहते हुए यूजीसी नेट की तैयारी करना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल तो था, लेकिन ये मेरी लाइफ का हिस्सा बन गया था, और मेरी सफलता का कारण भी यही बना।
प्रतिदिन 6 से 7 घंटे नियमित रूप से की पढ़ाई
यूजीसी नेट की परीक्षा में नीतू कुमारी (24) ने हिंदी विषय में 76.91 प्रतिशत नंबर हासिल किए हैं।उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर, जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और पीएचडी पात्रता के लिए आवेदन किया था।
नीतू बताती है कि मैंने अपनी पढ़ाई का समय हर दिन तीन हिस्सों में बांटा था। मैं सुबह 7 बजे तक घर के काम निपटा लेती और फिर 9 बजे तक पढ़ाई करती थी।
दोपहर के खाने और थोड़े आराम के बाद, मैं दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक फिर से पढ़ाई करती।रात में, घर का सारा काम निपटाकर और बच्चे को सुलाकर, मैं रात 8 बजे से 10 बजे तक फिर से पढ़ाई करती। मैं रोज़ाना 6 से 7 घंटे पढ़ाई कर पाती थी।