महिलाओं को सशक्त बनाने का मतलब राष्ट्र को सशक्त बनाना होता है । जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हमारे भारत माता की एक नारी है जो महिलाओं की सशक्तिकरण का एक प्रत्यक्ष उदाहरण है। आज हम सब इस महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं कि तो हमें यह सोचना चाहिए कि यह महिला आरक्षण के संबंध में हासिल किए गए मील के पत्थर का केवल जश्न मनाने के बारे में नहीं है बल्कि आगे आने वाली आगे पीढियां को भी मजबूत करने के लिए यह बिल तैयार किया गया है ।हम आपको बता दें कि भारत वैश्विक मंच पर एक आदर्श उदाहरण स्थापित कर रहा है केंद्र सरकार की इस प्रतिबद्धता, दृष्टि और कार्य योजना से लैंगिक बड़ा बाधाओ को दूर किया जा सकता है जिससे अधिक समावेशी समृद्ध और संतुलित भविष्य का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
क्या है नारी शक्ति वंदन एक्ट??
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नए संसद भवन में पहले विधेयक के तौर पर महिला आरक्षण बिल पेश किया। ये बिल लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की 33 फीसदी भागीदारी सुनिश्चित करेगा।
लोकसभा ने महिला आरक्षण अधिनियम (नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023) को दो-तिहाई से अधिक बहुमत से पारित कर दिया।
महिला आरक्षण बिल संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन राज्यसभा में पारित हो गया। इससे पहले लोकसभा में पारित हो चुका था। स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही कानून बन जाएगा। इसका नाम होगा- नारी शक्ति वंदन अधिनियम (Nari Shakti Vandan Adhiniyam)।इसके लागू होने के बाद महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33% आरक्षण मिलेगा। यानी कि लोकसभा में महिलाओं की संख्या 181 हो जाएगी। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ का जिक्र करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देना और महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाना है।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम महिलाओं की राजनीति सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। महिलाओं से जुड़े मुद्दों उनके अधिकारों की बात पर भारत सरकार ने राजनीति ना करते हुए लोगों की अधिकारों की लड़ाई लड़ी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अटूट प्रतिबद्धता का विषय है । महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए इस दिशा में निर्णायक कदम उठाए गए हैं। देश को आगे बढ़ाने हेतु चाहे वह धारा 370 का उन्मूलन है यह ट्रिपल तलाक सभी पर खुलकर बात की गई है और उनके लिए विशेष कानून बनाए गए।हम आपको बता दे की महिला आरक्षण विधेयक को लोकसभा तथा राज्यसभा से पूर्ण बहुमत द्वारा पास कर लिया गया है।
महिला आरक्षण बिल पास करने का उद्देश्य
- नारी शक्ति वंदन बिल’ अधिनियम बनने के बाद 15 साल तक लागू रहेगा, लेकिन इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है । महत्वपूर्ण बात ये है कि महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को प्रत्येक परिसीमन अभ्यास के बाद रोटेट किया जाएगा।
- 2. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी और सीधे चुनाव से भरी जाएंगी। साथ ही, आरक्षण राज्यसभा या राज्य विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।
- लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 महिला लोकसभा सदस्यों से बढ़कर 181 हो जाएगी यानी कुल 543 लोकसभा सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
- अधिनियम के प्रावधान ‘संविधान (128 वां संशोधन) अधिनियम 2023 के शुरू होने के बाद ली गई पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होने’ के बाद निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन या पुनर्निर्धारण के बाद लागू होंगे।
- ये विधेयक 2010 में तैयार किए गए महिला आरक्षण विधेयक के समान है जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। वर्तमान में, भारत में संसद और विधानमंडलों में महिलाओं की संख्या केवल 14 प्रतिशत है, जो विश्व औसत से बहुत कम है.
पहली बार कब लाया गया यह महिला आरक्षण बिल
महिला आरक्षण बिल पहली बार 12 सितंबर 1996 को लाया गया था। उस समय एचडी देवगौड़ा की सरकार थी। तब से लेकर आज तक पांच प्रधानमंत्री बदले जा चुके हैं। यानी कि यह 27 साल पुराना विधेयक है । जो आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार में पारित होने जा रहा है।
कैसे लागू होगा महिला आरक्षण बिल
महिला आरक्षण विधेयक को लागू होने के लिए पहले दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) से गुजरना होगा। इसके बाद इसे राज्यों की विधानसभाओं से भी पारित कराना होगा, क्योंकि ये विषय राज्यों के अधिकार से भी संबंधित है।