जैसे कि आप जानते हैं कि एक एटम यानी परमाणु में कई इलेक्ट्रोंस होते हैं जो अलग-अलग ऑर्बिट में लगातार मूवमेंट किया करते हैं ।जब इलेक्ट्रॉन एक ऑर्बिट से दूसरे ऑर्बिट में जाते हैं तो इनकी एनर्जी लेवल में बदलाव आता है। इस बदलाव को समझने के लिए कई प्रकार की एटोसेकेंड्स पल्स की मदद ली जाती है। 8 सेकंड का मतलब होता है कि एक सेकंड के खराबवे भाग से भी छोटा हिस्सा।
भौतिक विज्ञान की इन तीन वैज्ञानिकों ने इन तरीके को खोजा है जिसके जरिए इतने कम प्रकाश में भी प्रकाश की ऐसी सूचना तरंगों को पैदा किया जा सकता है इसे इलेक्ट्रोंस के मूवमेंट और इसकी एनर्जी लेवल के बारे में पता चलेगा और जो कई मूलभूत प्रश्नों के उत्तर देने में भी सक्षम है।
किसे मिला वर्ष 2023 का फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार
वर्ष 2023 में फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को देने का ऐलान किया गया है यह तीनों वैज्ञानिक अलग-अलग देश के निवासी हैं परंतु तीनों ने एक ही चीज पर रिसर्च किया है जो की है प्रकाश की सूक्ष्म तरंगे। इन तीन वैज्ञानिकों को प्रकाश की सूक्ष्म तरंगों पर प्रयोग के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। इन वैज्ञानिकों के नाम है – अमेरिका के पियर अगस्तीनी, दूसरे हैं जर्मनी के फेरेक कराउ, तीसरी हैं स्वीडन की और एनी हुलियर।
इन तीनों वैज्ञानिकों ने प्रकाश की छोटी पल्स यानी तरंग बनाने की खोज की है ।इसका इस्तेमाल उन तेज प्रक्रियाओं को मापने के लिए किया जा सकता है। जिसमें इलेक्ट्रॉन चलते हैं या भी अपनी मर्जी से एनर्जी लेवल बदलते हैं ।नोबेल कमेटी ने माना कि इसके प्रयोग से प्रमाण में मौजूद इलेक्ट्रॉन की दुनिया को समझने में आसानी होगी । इस खोज से भविष्य में कई तरीके की इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बनाए जा सकते हैं। इसके साथ ही खून में अणुओ के स्तर को भी समझा जा सकता है और इसके जरिए ब्रह्मांड की उम्र तक को भी आने में मदद मिल सकती है।
आईए जानते हैं कि कौन है वह वैज्ञानिक
पियरे अगस्तीनी
पियरे अगस्तीनी ने फ्रांस की एक एक्स यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है। फिलहाल ये अमेरिका की ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं ।इन्होंने अन्य दो वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इसकी खोज की है।
फेरेक क्रराउज
फेरेक क्रराउज का जन्म 1962 में हंगरी के मोड़ में हुआ था ऑस्ट्रिया की विएना यूनिवर्सिटी से 1991 में एचडी पूरी की फिलहाल वह मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट आफ क्वांटम ऑप्टिक्स में डायरेक्ट है जर्मनी के लुडविग मैक्स मिलियंस यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी हैं।
एनी हुलियर
एन लहूलिए ने गैस के एटम में लेजर लाइट के नए प्रभाव को खोजा है ।वह फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पांचवीं महिला है। इनका जन्म 1958 में पेरिस में हुआ था उन्होंने 1986 में पीएचडी की पढ़ाई पूरी की थी फिलहाल स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी में नामी प्रोफेसर है।
अब तक इतने लोगों को मिल चुका है यह पुरस्कार….
अब तक फिजिक्स के क्षेत्र में 119 लोगों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है एन लहुलिए फिजिक्स में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पांचवीं महिला बनी है। इससे पहले मेरी क्यूरी को 1903, मारिया मेयर को 1963, डोना स्टिकलैंड 2018, एड्रिया घेज को 2020 में यह पुरस्कार मैं प्राप्त हुआ।