आज 13 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी मनाई जा रही है।इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान की विधि विधान से पूजा करने पर वह आपके सभी पाप को क्षमा करते हैं
पापांकुशा एकादशी का विधान
इस दिन लोग पूरे विधि-विधान से व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवाव विष्णु को सबसे प्रिय तुलसी भी उनके लिए व्रत करती हैं। यही वजह है कि इस दिन तुलसी को जल नहीं दिया जाता है। कहते हैं कि इस दिन तुलसी को जल देने से उनका व्रत खंडित हो जाता है, इसलिए पापांकुशा एकादशी के दिन तुलसी में जल नहीं देना चाहिए।
पापांकुशा एकादशी व्रत करने का लाभ
सनातन पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु को समर्पित पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और पाप करने की प्रवृत्ति पर भी रोक लग जाती है। उत्तम स्वास्थ्य और संतान सुख का वरदान मिलता है।
पापांकुशा एकादशी में व्रत करने की विधि
पापा पापा अंकुश एकादशी में भगवान विष्णु का व्रत करने से प्रभु नारायण सुख समृद्धि एवं संपन्नता प्रदान करते हैं।
एकादशी के दिन सुबह सबसे पहले नहा धोकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
संकल्प लेने के बाद लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर भगवान विष्णु की मूर्ति रखें। विधि विधान से पूजा करें और भगवान को पंचामृत से स्नान करवाएं। उसके बाद पीले फूल और पीली मिठाई भगवान को चढ़ाएं।
पूरे दिन व्रत रखें और रात में भगवान विष्णु के विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। अगले दिन, यानी द्वादशी को सुबह ब्राह्मण को भोजन और दान-दक्षिणा देकर ही व्रत खोलना चाहिए।
पापांकुशा एकादशी के निश्चित तिथि एवं मुहूर्त
पापांकुशा एकादशी तिथि 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 08 मिनट से शुरू होकर 14 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। व्रत का पारण 14 अक्टूबर को किया जाएगा।