आज नवरात्रि का नवां दिन है नवरात्रि के 9वें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों के समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं एवं सभी कार्य सिद्ध होते हैं। नवें दिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।
माता दुर्गा का यह स्वरूप सिद्ध और मोक्ष देने वाला है इसलिए माता को मां सिद्धिदात्री कहा जाता है। इनकी पूजा अर्चना करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है
मां सिद्धिदात्री पूजा करने का विधान

नवरात्र-पूजन के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है।
इस मंत्र से करें मां सिद्धिदात्री की आराधना
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमसुरैरपि |
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ||
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ऊँ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।। या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता
मार्कंडेय पुराण में मां सिद्धिदात्री की शक्तियों का एवं उनकी महिमा का उल्लेख किया गया है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियाँ होती हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में यह संख्या अठारह बताई गई है।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में ‘अर्द्धनारीश्वर‘ नाम से प्रसिद्ध हुए।
माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है।
मां सिद्धिदात्री का पसंदीदा रंग
दुर्गा के आठवें स्वरूप को देवी सिद्धिदात्री कहा जाता है. इनकी पूजा नवरात्रि के 9वें दिन की जाती है. इन्हें बैंगनी रंग काफी पसंद है।