हिंदू कैलेंडर अनुसार वैशाख माह की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें ज्ञान भी प्राप्त हुआ था। बुद्ध जयंती को हिन्दू और बौद्ध दोनों ही धर्मों के अनुयायी मनाते हैं। भारत और विश्व में ऐसे कई संयुक्त मंदिर है जो भगवान बुद्ध और विष्णु को समर्पित हैं। विश्वभर में बुद्ध पूर्णिमा मनाने के अलग अलग तरीके हैं। आओ जानते हैं उत्सव की सामान्य परंपरा।
बुद्ध पूर्णिमा में पूजा करने की विधि
बुद्ध पूर्णिमा में सूर्योदय होने से पहले पूजा स्थल पर इकट्ठा होकर प्रार्थना और नृत्य किया जाता है। कुछ जगह पर परेड और शारीरिक व्यायाम करके भी बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है। इसके अलावा बुद्धि पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के बाद मंदिर और धार्मिक स्थलों पर बौद्ध झंडा फहराया जाता है। यह झंडा नीले, लाल, सफ़ेद, पीले और नारंगी रंग का होता है। लाल रंग आशीर्वाद, सफेद रंग धर्म की शुद्धता का, नारंगी रंग को बुद्धिमत्ता का, और पीले रंग को कठिन स्थितियों से बचने का प्रतीक माना जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर दान देने का भी विशेष महत्व है। कई बौद्ध मंदिर इस उत्सव का आयोजन लोगों को मुफ्त सुविधा प्रदान करके मनाते हैं। ऐसा माना जाता है की बुद्ध पूर्णिमा के दिन व्यक्ति को दान करना चाहिए और यह दान व्यक्ति के समर्थ के अनुसार होना चाहिए क्योंकि बुद्ध पूर्णिमा के दिन दान देने की जो प्रथा है वह अपनी श्रद्धा के अनुसार है किसी से जोर जबरदस्ती करके दान नहीं कराना चाहिए।
श्रीलंकाई इस दिन को ‘वेसाक‘ उत्सव के रूप में मनाते हैं जो ‘वैशाख‘ शब्द का अपभ्रंश है।इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है। समस्त विश्व भर में बुद्ध पूर्णिमा को विशेष त्यौहार के तौर पर मनाया जाता है विश्व के कुछ ऐसे देश हैं जहां पर भगवान महात्मा बुद्ध को भगवान के रूप में पूजा जाता है जैसे तिब्बत, श्रीलंका,चीन आदि ।इस दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है। अत: लोग अपने अपने तरीके से कोई भी एक पुण्य कार्य करते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन लोगों द्वारा गया के बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं पर हार व रंगीन पताकाएं सजाई जाती हैं। जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है। वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं।इस दिन मांसाहार का परहेज होता है क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे।
बुद्ध पूर्णिमा की पूजा करने से लाभ

महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नवा अवतार माना जाता है। इसलिए इस दिन आराधना और दान करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। चंद्रमा मजबूत होता है और जीवन की तमाम समस्याएं दूर होती हैं।
भगवान बुद्ध को इस चीज का लगाते है भोग
बुद्ध पूर्णिमा पर, लोग सफेद कपड़े पहनते हैं और खीर बांटते हैं। किंवदंती के अनुसार, सुजाता नाम की एक महिला ने एक बार गौतम बुद्ध को उनके जन्मदिन पर खीर पेश की थी और तब से यह एक प्रथा बन गई है। भगवान बुद्ध को फिर अत्यंत प्रिय है।
इस दिन घर में मांस-मछली या तामसिक भोजन का सेवन न करें। अगर आप सेवन करते हैं तो तुलसी से दूर ही रहें। इस दिन मांस-मदिरा से दूर रहने को इसीलिए कहा जाता है क्योंकि गौतम बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे। इसीलिए इस दिन किए गए अच्छे कामों से पुण्य की प्राप्ति होती है।
बुद्ध पूर्णिमा के अन्य नाम
बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वेसाक या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है, बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और मृत्यु (या परिनिर्वाण) का स्मरण करती है।
बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग

बुद्ध महात्मा बुद्ध ने अष्टांगी मार्ग के बारे में बताया है जिसके द्वारा मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है आईए जानते हैं कि क्या है महात्मा बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग-
सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वचन, सम्यक् कर्म, सम्यक् आजीविका, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति और सम्यक् समाधि। इस मार्ग के प्रथम दो अंग प्रज्ञा के और अंतिम तीन समाधि के हैं। बीच के तीन शील के हैं। इस तरह शील, समाधि और प्रज्ञा इन्हीं तीन में आठों अंगों का सन्निवेश हो जाता है।
बुद्ध धर्म अपनाने का मूल मंत्र
बुद्धं शरणं गच्छामि” बौद्ध धर्म को जानने वालों के लिए मूलमंत्र है। इसकी दो और पंक्तियों में “संघं शरणं गच्छामि” और “धम्मं शरणं गच्छामि” भी है। बौद्ध धर्म की मूल भावना को बताने वाले ये तीन शब्द गौतम बुद्ध की शरण में जाने का अर्थ रखते हैं। बुद्ध को जानने के लिए उनकी शिक्षाओं की शरण लेना जरूरी है।
पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है। इसलिए भगवान भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और चंद्रदेव को अर्घ्य देने से जीवन की हर बाधा को दूर किया जा सकता है।
बुद्ध पूर्णिमा के सिद्ध उपाय
अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अशुभ या कमजोर है तो बुद्ध पूर्णिमा पर इसे एक सरल उपाय से दूर किया जा सकता है।चन्द्रमा को मजबूत बनाने के लिए भगवान शिव की उपासना सबसे ज्यादा फलदायी होती है इसलिए बुद्ध पूर्णिमा पर शिव मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें। चाहें तो पूर्णिमा का उपवास भी रख सकते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा पर सुबह विष्णु पूजन के बाद पानी से भरा घड़ा और पकवान आदि का दान करें। कहते हैं कि इस दिन मिट्टी के घड़े का दान गौदान के समान होता है। इस दिन पीले वस्त्र, पंखा, चप्पल, छतरी, अनाज या फल का दान करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा पर चमत्कारी मंत्रों का जाप
– ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः
– ॐ सोम सोमाय नमः
– ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः
– ॐ चन्द्रशेखराय नमः