मां दुर्गा के नौ रूपों में से पांचवा रूप स्कंदमाता का है। इस रूप में, मां दुर्गा अपने पुत्र भगवान स्कंद (कार्तिकेय) के साथ विराजमान हैं। स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवे दिन की जाती है।
कथा -:
स्कंदमाता की कथा भगवान स्कंद की जन्म कथा से जुड़ी हुई है। भगवान स्कंद भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। उनका जन्म तरकासुर नामक असुर का वध करने के लिए हुआ था। स्कंदमाता ने भगवान स्कंद को अपना पुत्र बनाकर उनकी माता की भूमिका निभाई।
पूजा करने की विधि -:
सामग्रीस्कंदमाता की पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
1. स्नान और शुद्धि करें।
2. पूजा स्थल पर मां स्कंदमाता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
3. मां को फूल, फल, और अन्य पूजा अर्पित करें।
4. मां की आरती और मंत्रों का जाप करें।
5. पूजा के अंत में मां को प्रसाद अर्पित करें और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
स्कंदमाता का मंत्र -:
- “ॐ स्कंदमात्रै नमः”
- “ॐ स्कंदमात्रै विद्महे वागीश्वरी धीमहि तन्नो स्कंदमाता प्रचोदयात्”