नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देवी दुर्गा की आराधना के लिए मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें से पहली देवी माँ शैलपुत्री हैं।
माँ शैलपुत्री की कथा
माँ शैलपुत्री का जन्म हिमालय के घर में हुआ था, इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। वह भगवान शिव की पत्नी पार्वती का पहला रूप हैं। माँ शैलपुत्री का विवाह भगवान शिव से हुआ था, और उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर कई दुष्टों का विनाश किया था।
माँ शैलपुत्री की पूजा
नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों में माँ शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र को स्थापित करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। माँ शैलपुत्री को श्वेत वस्त्र पहनाने की परंपरा है, इसलिए इस दिन लोग श्वेत वस्त्र पहनते हैं।
माँ शैलपुत्री के मन्त्र
माँ शैलपुत्री की पूजा के लिए इस मन्त्र का जाप किया जाता है:
ओम शैलपुत्रय: नमः
माँ शैलपुत्री की महत्ता
माँ शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति को शक्ति और साहस प्राप्त होता है। वह अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और सफलता प्रदान करती हैं। माँ शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।