किसी भी चीज का महत्व हम तब जानते हैं जब वह हमारे पास नहीं होती है । जब तक कोई चीज हमारे पास होती है तब तक उसकी हम वैल्यू नहीं करते हैं या हम इसको पहचान नहीं पाते हैं। आज अपनी इस लेख में हम आपको यही बताने वाले हैं कि किस तरीके से चीजों को महत्व देना चाहिए और किस तरीके से हमें सद्गुरु मिलेंगे
पहचानना सीखें
प्यास ना हो तो पानी पीना खतरनाक है। भूख ना हो तो भोजन कर लेना महंगा पड़ सकता है । सत्य को चाहे ना हो तो सद्गुरु का मिलन खतरनाक हो सकता है । अगर साधक हो तो जैसे ही गुरु मिलेगा प्राण जुड़ जाएंगे ,तार मिल जाएंगे। कोई बताने की जरूरत ना पड़ेगी । अगर उजाला आ जाए तो क्या तुम्हें बताने आएगा ,तब तुम पहचानोगे कि अंधेरा नहीं, उजाला है ? कभी उपवास करके बाजार गए ?उसे दिन कपड़े की दुकान नहीं दिखाई पड़ती हैं ,सोने चांदी की दुकान में भी नहीं दिखाई पड़ती है, सिर्फ रेस्टोरेंट होटल ही दिखाई पड़ता है क्योंकि उसे वक्त उसे खाने की चाह है।

ऐसे व्यक्ति को बाजार में हर तरफ सिर्फ भोजन की ही गढ़ मालूम पड़ती है जो पहले कभी नहीं मालूम पड़ी थी भूखी को भोजन ही दिखाई देता है प्यासी को पानी ही दिखाई देता है उसी प्रकार से सड़क को सिर्फ उसका गुरु ही दिखाई पड़ता है तात्पर्य है कि यदि साधक को उसका गुरु मिल जाए तो उसके बाद उसे किसी अन्य चीज की आवश्यकता नहीं रह जाती है उसको लगता है किसको संपूर्ण वस्तुएं मिल चुकी है जो से वास्तव में चाहिए थी।
सीख
इससे हमें यह पता चलता है कि हमें सिर्फ वही चीज मिलती हैं जिसके हमें इच्छा होती है। जैसे हमारे विचार होते हैं जैसा हम सोचते हैं हमें अपने चारों तरफ सिर्फ वही चीज दिखाई पड़ती हैं इसलिए जीवन में हमेशा प्रयास करें कि ज्यादा से ज्यादा अच्छा और सकारात्मक सोच रखे क्योंकि जैसा आप सोचेंगे वैसा करेंगे और वैसे ही चीज आपको प्राप्त होगी।