हिंदू सनातन धर्म में एकादशी के एक दिन बाद यानी त्रयोदशी को प्रदोष मनाया जाता है । इस दिन महिलाएं प्रदोष का व्रत भगवान शिव के लिए रखती हैं जिससे भगवान प्रसन्न होते है। नवम्बर 2024 में आज 13 नवंबर बुधवार के दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में प्रदोष व्रत की पूजा की जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन शिवजी की पूजा की जाती है और महिलाएं शिवजी का व्रत पूजन बड़ी श्रद्धा के साथ करके प्रदोष का व्रत संपन्न करती हैं। इस व्रत के करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होने के साथ-साथ संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दी प्राप्त होता है। इस व्रत को शाम के समय सूर्यास्त से पहले किया जाता है।
प्रदोष व्रत
कार्तिक माह का आज दूसरा प्रदोष व्रत है दिन बुधवार होने की वजह से इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से बच्चों की बुद्धि और स्वास्थ्य उत्तम रहता है। इस दिन महादेव की पूजा करने वालों का निश्चित ही उद्धार होता है। बुध प्रदोष के दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा का भी विधान है।
प्रदोष व्रत करने का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी तिथि 13 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट से लेकर 14 नवंबर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। ऐसे में बुध प्रदोष व्रत व्रत 13 नवंबर यानी आज रखा जाएगा। बुध प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाएगी।
प्रदोष व्रत करने का विधान व सही तरीका
प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का विधान माना जाता है। प्रदोष के दिन भोलेनाथ की पूजा बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव से करनी चाहिए
प्रदोष के दिन स्नानादि के बाद साफ और हल्के रंग के कपड़े धारण करें। भगवान गणेश जी के सामने घी का दीपक जलाकर ‘ॐ गं गणपतये नमो नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें फिर भगवान शिव के मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें शाम के समय प्रदोष काल मे भगवान शिव को पंचामृत (दूध, दही, घी शहद और शक्कर) से स्न्नान कराएं. इसके बाद शुद्ध जल से स्न्नान कराकर रोली, मौली, चावल, धूप, दीप से पूजन करें। भगवान शिव को सफेद चावल की खीर का भोग लगाएं। आसन पर बैठकर शिवाष्टक का पाठ करें। सारे विघ्न और दोषों को खत्म करने की प्रार्थना भगवान शिव से करें।
कार्तिक मास 13 नवंबर प्रदोष की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ।विवाह के दो दिन बाद उसकी पत्नी मायके चली गई कुछ दिनों के बाद वह पुरुष अपनी पत्नी को वापस लेने के लिए गया।बुधवार को जब वह पत्नी को लेकर लौटने लगा तब ससुराल पक्ष ने उसे रोकने की कोशिश की, कहा विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता लेकिन वह नहीं माता और पत्नी के साथ बैलगाड़ी में चल पड़ा विवश होकर सास ससुर ने अपने जमाई और पुत्री को भारी मन से विदा किया नगर के बाहर पहुंचने पर पत्नी को प्यास लगी । पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में चल पड़ा। पत्नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई।
जब थोड़ी देर बाद पुरुष पानी लेकर वापस आया तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी से हंस-हंसकर बात कर रही है और लोटे से पानी पी रही है। यह देखकर वह क्रोधित हो गया जब वह पास पहुंचा तो उसने देखा कि उस आदमी की शक्ल उसकी तरह ही है । पत्नी भी सोच में पड़ गई है दोनों पुरुष झगड़ने लगे । धीरे धीरे वहां भीड़ एकत्रित हो गई और सिपाही भी आ गए हमशक्ल आदमियों को देखकर वे भी हैरान हो गए उन्होंने स्त्री से कहा कि उसका पति कौन है?
स्त्री को दुविधा हो गई तब पुरुष भगवान शंकर से प्रार्थना करने लगा कि हे भगवान हमारी रक्षा करना मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई मैंने सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार को पत्नी को विदा करा लिया। मैं भविष्य में ऐसा बिल्कुल भी नहीं करुंगा जैसे ही पुरुष की प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा व्यक्ति अंतर्ध्यान हो गया पति-पत्नी सकुशल अपने घर पहुंच गए उसके बाद पति-पत्नी ने नियमपूर्वक बुध प्रदोष व्रत करने लगे।