हिंदू धर्म में सावन माह को सबसे खास माना जाता है। इस माह का प्रत्येक दिन महादेव की पूजा को समर्पित है। इस दौरान आने वाले सोमवार व्रत, सावन प्रदोष व्रत और सावन शिवरात्रि की तिथियों का विशेष महत्व होता है। ये सभी भगवान शिव की प्रिय तिथियां मानी जाती है। इस दिन शंकर जी की पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती हैं। साथ ही सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन पांचवा महीना होता है। इस माह के प्रत्येक सोमवार को शंकर जी की पूजा-उपासना और उपाय करने से व्यक्ति के कष्टों में कमी आती है। सावन का पहला दिन सभी दिनों में बेहद खास माना जाता है।
सावन प्रारंभ होने की निश्चित तिथि
22 जुलाई 2024 से सावन माह की शुरुआत हो रही है। इस दिन पहला सोमवार व्रत भी है। वहीं पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 2 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी, जो 3 अगस्त दोपहर 3 बजकर 50 मिनट पर समाप्त हो रही है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि पर कांवड़िए शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाते हैं। इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करना बेहद शुभ होता है, इससे महादेव प्रसन्न होते है।
सावन में शिवरात्रि पूजन की आवश्यक सामग्री
सावन शिवरात्रि के शुभ दिन पर महादेव की पूजा करने के लिए कुछ सामग्रियों को जरूर शामिल करना चाहिए। आप पूजा के बर्तन, पंच मिष्ठान्न, बेलपत्र, धतूरा, भांग, बेर, गुलाल, सफेद चंदन, पंच फल, दक्षिणा, गन्ने का रस, शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा शुद्ध घी, शहद, पंच रस, गंगाजल, जल, दूध दही, कपूर, धूप, दीप, रूई और मां पार्वती के श्रृंगार की सामग्री को भी रखें।
जलाभिषेक का विधि विधान
सावन शिवरात्रि की तिथि पर सूर्योदय से पहले स्नान कर लें और साफ वस्त्रों को धारण करें। इसके बाद आप निशिता काल मुहूर्त में शिवलिंग का दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, गन्ने के रस आदि से अभिषेक करें। इस दौरान गंगाजल में काला तिल मिलाकर 108 बार महामृत्युजंय मंत्र का जाप करें और शिवलिंग पर अर्पित करें। बाद में आप महादेव को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करते जाएं। सामान अर्पित करने के बाद आप आटे का चौमुखी दीपक जलाएं और शिव मंत्र, शिव चालीसा का पाठ करें।