दीपावली हिंदुओं का प्रमुख पर्व है । यह सनातन धर्म से मनाया जा रहा है। आज 30 अक्टूबर 2024 को नरक चतुर्दशी है यानी इस छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। आप सभी छोटी दिवाली तो जरूर मनाते होंगे परंतु इसके पीछे का कारण कुछ ही लोग जानते होंगे । आज इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि हम छोटी दीपावली क्यों मनाते हैं? आईए जानते हैं कि क्या है इसके पीछे का कारण….
छोटी दीपावली (नरक चतुर्दशी)
दीपावली का उत्सव 5 दिन तक चलता है दिवाली के प्रथम दिन धनतेरस मनाया जाता है उस दिन माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है जबकि दूसरे दिन नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है। इसके बाद आता है प्रमुख और तीसरा दिन ,जिस दिन को बड़ी दीपावली के रूप में मनाया जाता है यह वह दिन होता है जिस दिन भगवान राम 14 वर्ष के बाद अयोध्या वापस लौटे थे जिसकी खुशी में हम सब मिलकर दिवाली मनाते है। तीसरे दिन गोवर्धन और चौथे दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।
छोटी दिवाली (जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है) के पांच दिवसीय त्यौहार का दूसरा दिन है। हिंदू साहित्य में वर्णित है कि इस दिन असुर (राक्षस) नरकासुर (शाब्दिक रूप से “नरक से आया राक्षस”) का वध कृष्ण और सत्यभामा ने किया था। इस दिन सुबह-सुबह धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं और उसके बाद उत्सव मनाया जाता है
जाने क्या करना चाहिए छोटी दीवाली में…
हिंदू कैलेंडर में चंद्रमा के बढ़ते या घटते चरण का 14वाँ दिन (तिथि) है। यह अमावस्या (अमावस्या) या पूर्णिमा (पूर्णिमा) से पहले का दिन होता है। आईए जानते हैं कि इस दिन क्या करना चाहिए
- नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी और यम की पूजा करें।
- इसके अलावा भगवान कृष्ण की भी पूजा करने का विधान है।
- घर की विशेष सफाई करें।
- घर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
- संध्याकाल में दीपक जलाएं।
- घर में से खराब चीजों का हटा दें।
- छोटी दिवाली के दिन घर की दक्षिण दिशा साफ रखें। क्योंकि गंदगी रखने से यमराज और पितृ देव क्रोधित हो जाते हैं।
- छोटी दिवाली के दिन यम के नाम का दीपक दक्षिण दिशा में जलाएं।
- घर के मुख्य द्वार, बाहर, चौराहे और खाली स्थान पर दीये रखें।
- छोटी दिवाली पर सरसों के तेल के दीये ही जलाएं।
नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा
एक नरकासुर नामक राक्षस था जिसने अपनी शक्ति के बल पर 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। नरकासुर के आतंक और अत्याचार से परेशान होकर देवताओं और ऋषि मुनियों ने भगवान कृष्ण से मदद की गुहार लगाई। तब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर देवताओं और संतों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई। श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करने के बाद उन 16 हजार स्त्रियों को नराकसुर की कैद से मुक्त कराया था। इस खुशी में लोगों ने दीप जलाएं और नरकासुर के अंत की खुशी मनाई। इस कारण तब से छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहा जाने लगा।