आज नवरात्रि का सातवां दिन है सातवें दिन मां कालरात्रि की आराधना की जाती है। मां कालरात्रि की आराधना करने से भक्त सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है मां कालरात्रि को कालों का नाश करने वाली देवी माना जाता है।
सनातन धर्म में नवरात्र का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्र का आरंभ 03 अक्टूबर से हुआ है और इसका समापन 12 अक्टूबर को होगा। इस दौरान माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा और व्रत का आयोजन विभिन्न दिनों में किया जाता है।
सप्तम देवी मां कालरात्रि का मंत्र
मां कालरात्रि की पूजा के दिन लाल चंदन की माला से इस मंत्र का जाप करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में आने वाले कष्टों से भी मुक्ति मिलती है –
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।
मां कालरात्रि की व्रत कथा
एक प्राचीन कथा के अनुसार, शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नामक राक्षसों ने तीनों लोकों में भय का माहौल बना रखा था। इन राक्षसों के आतंक से परेशान होकर सभी देवताओं ने भगवान शिव के पास जाकर इस समस्या का समाधान मांगा। भगवान शिव ने माता पार्वती को इन राक्षसों का नाश करने का निर्देश दिया। इसके फलस्वरूप, माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण कर शुंभ-निशुंभ का वध किया।
जब रक्तबीज के वध का समय आया, तब उसके शरीर से निकले रक्त से अनगिनत रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए। यह वरदान रक्तबीज को प्राप्त था कि यदि उसके रक्त की एक बूंद भी धरती पर गिरे, तो उसके समान एक और दानव प्रकट हो जाएगा। इस स्थिति में, देवी दुर्गा ने अपने तेज से देवी कालरात्रि को प्रकट किया। इसके पश्चात, मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया और मां कालरात्रि ने उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को भूमि पर गिरने से पूर्व ही अपने मुख में समाहित कर लिया। इस प्रकार, रक्तबीज का अंत हुआ।
मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि के चार हाथ तीन नेत्र हैं। एक हाथ में माता ने खड्ग (तलवार), दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरे हाथ वरमुद्रा और चौथे हाथ अभय मुद्रा में है।मान्यता है कि नीला रंग मां कालरात्रि को बेहद प्रिय है।
शक्तिशाली मंत्र
1. ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥
2. ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं
मां कालरात्रि को इस चीज का लगाये भोग
इस मां की आराधना करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है। माता कालरात्रि की पूजा सुबह और रात के समय में भी की जाती है। मान्यता है कि मां को रातरानी का फूल बहुत पसंद है। इस दिन माता को गुड़ का भोग लगाया जाता