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Home»धर्म»मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चों की यह होती है खास आदतें और लक्षण…
धर्म

मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चों की यह होती है खास आदतें और लक्षण…

By Archana Dwivedi
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साधारण तौर पर जब बच्चे जन्म लेते हैं तो उनका नक्षत्र और ग्रह पंडित के द्वारा दिखाया जाता है बच्चे का नक्षत्र और ग्रह विशेष मायने रखता है कि बच्चा कि प्रकृति का होगा । कुछ ऐसे बच्चे होते हैं जो साधारण प्रकृति और स्वभाव के होते हैं परंतु कुछ ऐसे बच्चे होते हैं जिनकी ज्ञान और बुद्धि अन्य लोगों से अलग होती है वे आगे चलकर साइंटिस्ट या अन्य किसी विशेष चीज के जानकारी बनते हैं। अपनी इस लेख में आज हम जानेंगे की मूल नक्षत्र में पैदा हुए  बच्चे   कैसे   होते हैं –

मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चों  की प्रकृति और चरित्र

मूल नक्षत्र में जन्मे लोग अपने विशेष व्यक्तित्व और स्वभाव के कारण पहचाने जाते हैं। वे प्रगतिशील, जानकार और सफलता प्राप्त करने में सक्षम हैं. हालांकि, उन्हें कुछ स्वास्थ्य और व्यक्तित्व संबंधित चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाला बालक शुभ प्रभाव में है तो वह सामान्य बालक से कुछ अलग विचारों वाला होता है यदि उसे सामाजिक तथा पारिवारिक बंधन से मुक्त कर दिया जाए तो ऐसा बालक जिस भी क्षेत्र में जाएगा एक अलग मुकाम हासिल करेगा।  ऐसे बालक तेजस्वी, यशस्वी, नित्य नव चेतन कला अन्वेषी होते हैं। यह इसके अच्छे प्रभाव हैं

मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे पर देवता का प्रभाव

मूल नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि में आते हैं और इस नक्षत्र का स्वामी केतु है और राशि के स्वामी देवताओं के गुरु बृहस्पति हैं। इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे लोगों पर गुरु और केतु का सीधा प्रभाव पड़ता है। हर नक्षत्र पर अलग-अलग देवता का प्रभाव माना जाता है

मूल नक्षत्र के प्रकार

ज्योतिष के मुताबिक, मूल नक्षत्र छह तरह के होते हैं:

मूल, ज्येष्ठा, आश्लेषा, अश्विनी, रेवती, मघा

इनमें से मूल, ज्येष्ठा, और आश्लेषा को मुख्य मूल नक्षत्र माना जाता है, जबकि अश्विनी, रेवती, और मघा को सहायक मूल नक्षत्र माना जाता है. ज्योतिष में, उग्र और तीक्ष्ण स्वभाव के नक्षत्रों को मूल नक्षत्र, सत ईसा, या गंडमूल कहा जाता है।

जब चंद्रमा का संरक्षण एक राशि से दूसरे राशि में होता है, तो इसका तात्पर्य यह है कि चंद्रमा का परिवर्तन नक्षत्र पर भी होता है। एक राशि का भोग सवा दो नक्षत्र पर होता है। कुल मिलाकर नौ चरण में एक राशि होती है। कुल मिलाकर 27 नक्षत्र होते हैं। अभिजित नक्षत्र को जोड़ देने पर 28 की संख्या में नक्षत्र हो जाते हैं। 

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, मूल नक्षत्र में जन्मे लोगों का भविष्य इस प्रकार होता है: 

    ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, मूल नक्षत्र में जन्मे लोगों का भविष्य इस प्रकार होता है: 

      • ये लोग पढ़ाई में तेज होते हैं और शोध कार्यों में सफलता पाते हैं.
        • ये लोग प्रगतिशील सोच के होते हैं और नियमों और सिद्धांतों का पालन करते हैं.
          • ये लोग शांतिप्रिय, दयालु, मिलनसार और भावुक होते हैं.
            • ये लोग अपने विचारों पर दृढ़ होते हैं और इनमें निर्णय लेने की क्षमता भी अच्छी होती है.
              • ये लोग कुशल और निपुण होते हैं और हर मुकाम तक पहुंचते हैं.
                • ये लोग अपने परिवार की हर ज़रूरत को पूरा करते हैं और माता-पिता की आज्ञा इनके लिए सबसे पहले आती है.
                  • ये लोग चुनौतियों से लड़ना पसंद करते हैं और संयम के साथ शत्रुओं से भी आसानी से निपट लेते हैं.
                    • ये लोग अपने मित्रों को काफ़ी सलेक्टेड रखते हैं और उनके लिए कुछ भी कर सकते हैं.
                      • ये लोग जल्दी किसी बंधन में नहीं बंधते लेकिन जब ये किसी रिश्ता बना लेते हैं तो उसकी समस्याओं को भी अपना बना लेते हैं. 

                      मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चों के चरण का प्रभाव

                      * मूल नक्षत्र का प्रथम चरण पिता के लिए परेशानी का कारण बनता है।

                      * दूसरा चरण माता के लिए परेशानी का कारण बनता है।

                      * तीसरा चरण आर्थिक समस्याओं का कारण बनता है

                      * जबकि इस नक्षत्र का चौथा चरण शुभ होता है। जन्म नक्षत्र के स्वामी की पूजा करने से व्यक्ति को अशुभ फलों से मुक्ति मिलती है।

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                      Archana Dwivedi
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                      I’m Archana Dwivedi - a dedicated educator and founder of an educational institute. With a passion for teaching and learning, I strive to provide quality education and a nurturing environment that empowers students to achieve their full potential.

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