एक बार की बात है, विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक अमीर व्यापारी आया। उसने राजा से कहा –
“महाराज! मैं आपकी बुद्धिमत्ता की बहुत तारीफ सुन चुका हूँ। मैं अपनी एक सोने की थाली आपके किसी बुद्धिमान दरबारी को देना चाहता हूँ, जो मुझे सही उत्तर दे सके।”
राजा ने कहा – “पूछो, तुम्हारा प्रश्न क्या है?”
व्यापारी ने पूछा –
“महाराज, दुनिया में सबसे बड़ा आदमी कौन है?”

सारे दरबारी सोच में पड़ गए। कोई बोला “राजा सबसे बड़ा होता है”, कोई बोला “धनवान आदमी सबसे बड़ा होता है”, कोई बोला “विद्वान सबसे बड़ा होता है।”
लेकिन व्यापारी किसी उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ।
तभी तेनालीराम खड़े हुए और बोले –
“सेठजी, दुनिया में सबसे बड़ा ‘वह’ है जो दूसरों की भलाई करता है, चाहे वह राजा हो या गरीब। क्योंकि दूसरों के लिए जीने वाला ही सच्चा महान होता है।”
सेठ को यह उत्तर बहुत पसंद आया। उसने प्रसन्न होकर सोने की थाली तेनालीराम को दे दी।
राजा कृष्णदेव राय भी मुस्कुराए और बोले –
“तेनाली, तुम्हारी बुद्धि सच में सोने से भी ज्यादा कीमती है!”
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सीख (Moral):
जो दूसरों की भलाई के लिए जीता है, वही वास्तव में सबसे बड़ा और महान व्यक्ति होता है।

