देश की बागडोर असल मायने में अफसरों के हाथ में होती है. यदि नौकरशाही दुरुस्त हो तो कानून-व्यवस्था चाकचौबंद रहती है. जिस तरह से भ्रष्टाचार का दीमक नौकरशाही को खोखला किए जा रहा है, लोगों का उससे विश्वास उठता जा रहा है. लेकिन कुछ ऐसे भी IAS और IPS अफसर हैं, जिन्होंने अपना सारा जीवन ही देशसेवा में समर्पित कर दिया. इंडियामित्र डॉट कॉम ऐसे ही अफसरों पर एक सीरीज पेश कर रहा है. इस कड़ी में आज पेश है, देश की पहली महिला IPS अफसर किरण बेदी की कहानी.
डॉ० किरण बेदी (जन्म : 9 जून 1949) भारतीय पुलिस सेवा की सेवानिवृत्त अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, भूतपूर्व टेनिस खिलाड़ी एवं राजनेता हैं। वे पुदुचेरी की उपराज्यपाल हैं। सन 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में सम्मिलित होने वाली वे प्रथम महिला अधिकारी हैं। 34 वर्ष तक सेवा में रहने के बाद सन 2007 में उन्होने स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली।
उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया है। वे संयुक्त आयुक्त पुलिस प्रशिक्षण तथा दिल्ली पुलिस स्पेशल आयुक्त (खुफिया) के पद पर कार्य कर चुकी हैं।
जीवन परिचय –
इनका जन्म 9 जून 1949 अमृतसर (पंजाब ) में हुआ था। बचपन से ये लड़को की तरह रहती थी इनके सभी कार्य भी लड़को वाले ही थे। साथ ही उनकी वेशभूषा में भी लड़को वाला प्रभाव दिखता था। लड़को के साथ खेलना, उनके जैसे कार्य करना उनका शौक था
इनकी प्रारम्भिक शिक्षा अमृतसर (पंजाब )में हुई तथा माध्यमिक व उच्च शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से हुई है । बाद में इन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से आगे की शिक्षा ली। सन 1972 में ये पुलिस सेवा इनका आगमन हुआ।
जीवन की उपलब्धियां –
एक किशोरी के रूप में, बेदी 1966 में राष्ट्रीय जूनियर टेनिस चैंपियन बनीं।
- 1965 और 1978 के बीच, उन्होंने राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में कई खिताब जीते।
- 1972 में किरण बेदी देश की पहली महिला आईपीएस अफसर बनी।
- IPS में शामिल होने के बाद, बेदी ने दिल्ली, गोवा, चंडीगढ़ और मिजोरम में सेवा की।
- उन्होंने दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में एक सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के रूप में कार्य किया। और 1979 में राष्ट्रपति का पुलिस पदक जीता।
- इसके बाद, वह पश्चिम दिल्ली चली गईं, जहां उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कमी लाई।
- इसके बाद, इन्होंने एक ट्रैफिक पुलिस अधिकारी के रूप में व दिल्ली में 1982 के एशियाई खेलों के लिए यातायात व्यवस्था की देखरेख के अधिकारी के तौर पर कार्य किया हैं और 1983 की तक इस पद पर अपनी सेवा दी।
- उत्तरी दिल्ली के डीसीपी के रूप में, उन्होंने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ एक अभियान चलाया, जो नवज्योति दिल्ली पुलिस फाउंडेशन (2007 में नवज्योति इंडिया फाउंडेशन का नाम बदलकर) में विकसित हुआ।
- मई 1993 में, वह दिल्ली जेल में महानिरीक्षक (IG) के रूप में तैनात हुईं।
- उन्होंने तिहाड़ जेल में कई सुधारों की शुरुआत की, जिसे दुनिया भर में प्रशंसा मिली।
- 2003 में, बेदी पहली भारतीय महिला बनीं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र में महासचिव के पुलिस सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
- उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, और इंडिया विजन फाउंडेशन चलाती है।
- 2008-11 के दौरान, उन्होंने एक कोर्ट शो आप की कचहरी भी होस्ट की।
प्रमुख सम्मान व पुरस्कार-
उनके मानवीय एवं निडर दृष्टिकोण ने पुलिस कार्यप्रणाली एवं जेल सुधारों के लिए अनेक आधुनिक आयाम जुटाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है।
√ निःस्वार्थ कर्त्तव्यपरायणता के लिए उन्हें शौर्य पुरस्कार।
√ एशिया का नोबल पुरस्कार कहा जाने वाला रमन मैगसेसे पुरस्कार से भी उन्हें नवाजा गया।
√ उनको मिलने वाले अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों की श्रृंखला में शामिल हैं -जर्मन फाउंडे्शन का जोसफ ब्यूज पुरस्कार, नार्वे के संगठन इंटशनेशनल ऑर्गेनाजेशन ऑफ गुड टेम्पलर्स का ड्रग।
सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में –
किरण बेदी ने 17 अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर 1987 में नवज्योति इंडिया फाउंडेशन (एनआईएफ) की स्थापना की। एनआईएफ ड्रग नशा के लिए एक नशा मुक्ति और पुनर्वास की पहल के साथ इसे शुरू कर दिया है और अब संगठन का लोगो की निरक्षरता और महिलाओं की तरह अन्य सामाजिक मुद्दे के लिए विस्तार किया गया है । 1994 में बेदी जी ने सेटअप इंडिया विजन फाउंडेशन जो पुलिस सुधारों, जेल सुधारों के क्षेत्र में काम करता है, महिलाओं के सशक्तिकरण और ग्रामीण और सामुदायिक विकास को आगे बढ़ाकर उनके प्रयासों के द्वारा संस्था को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान व पहचान दिलाई ।जिसके कारण उन्हें व उनकी टीम को उसके संगठनों के द्वारा सम्मानित किया गया ।
उनकी प्रमुख पुस्तकें व उनकी आत्मकथा –
किरण बेदी ने ‘इट्स ऑलवेज पॉसिबल’ और दो आत्मकथाओं के रूप में ‘आय डेयर’ व ‘काइंडली बेटन’ नाम की किताब भी लिखी है।
जीवन मे एक अधिकारी के तौर पर प्राप्त हुए प्रमुख पद –
∆ दिल्ली यातायात पुलिस प्रमुख
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्युरो।
∆ डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलीस, मिजोरम।
∆ इंस्पेक्टर जनरल ऑफ प्रिज़न, तिहाड़।
∆ स्पेशल सेक्रेटेरी टू लेफ्टीलेन्ट गवर्नर, दिल्ली।
∆ इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस,
चंडीगढ़।
∆ जाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस, ट्रेनिंग।
∆ स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस, इंटेलिजेन्स।
∆ यू.एन. सिविलियन पुलिस, एड्वाइजर।
∆ महानिदेशक, होम गार्ड और नागरिक रक्षा।
∆ महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो।
राजनीतिक जीवन –
इन्होंने एक सफल अधिकारी के रूप तो कार्य किया है, साथ ही आज ये एक सफल नेता के रूप में पुंडुचेरी में उपराज्यपाल के पद पर तैनात है। इन्होंने देश के कई समाज सुधारक आंदोलन में भी अपना पूर्ण सहयोग दिया है
किरण बेदी 2011 में अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़ी, अरविंद केजरीवाल के अलावा किरण बेदी भी इंडिया अगेन्स्ट करप्शन (I.A.C) के प्रमुख सदस्यों में से एक रही हैं। (I.A.C) ने देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध किया और भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए भारत सरकार से एक मजबूत लोकपाल विधेयक लाने का आग्रह किया। सरकार और कार्यकर्ताओं के बीच कई विचार विमर्श के बारह दिनों के बाद, संसद में लोकपाल का मसौदा तैयार करने में तीन बिंदुओं पर विचार करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया।
इस महिला आईपीएस अफसर ने उठवा ली थी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कार। –
किरण बेदी की छवि आज भी एक सख्त ऑफिसर के रूप में जाना जाती है। लेडी सिंघम किरण बेदी, जिनके नाम पर आज भी क्रिमिनल थर्राते हैं, लेकिन 1982 में जब वे डीसीपी थी तब उन्होंने एक बार 1983 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की कार मरम्मत के लिए गैराज लाई गई थी और सड़क पर गलत साइड में खड़ी की गई थी। उसे क्रेन से उठवा दिया था।
इस प्रकार दोस्तो हमने आपको एक ऐसी महिला अधिकारी से अवगत कराया जिसकी छवि अद्वितीय है ।जिन्होंने महिलाओं के लिए एक मिसाल कायम की है।