पाकिस्तान के न्यायिक आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए जस्टिस आयशा मलिक के नामांकन को मंजूरी दे दी है। हम आपको बता देना चाहते है कि आज तक पाकिस्तान में कोई एससी महिला जज नही बनी है। इतिहास में पहली बार पाकिस्तान के न्यायिक क्षेत्र में कोई महिला जज होगी ।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पाकिस्तान में किसी विशेष पद पर महिलाओं की नियुक्ति पहले नहीं की जाती थी परंतु जैसे-जैसे समय बदल रहा है वैसे-वैसे महिलाओं को भी सभी भर्तियों और पदों पर नियुक्ति होने का अधिकार दिया जाने लगा है । जानिए कौन है आशा मलिक और क्यों इनको दी गई इतने महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी।
जाने कौन है ? जस्टिस आयशा मलिक
आयशा मलिक ने हावर्ड लॉ स्कूल से एल एल एम ग्रेजुएट की पढ़ाई करने के पश्चात इनकी न्यायमूर्ति आयशा मलिक के रूप में 2012 में लाहौर हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति हुई इसके पहले उन्होंने कॉर्पोरेट और कमर्शियल ऑफर में भी पार्टनर रह चुकी है। इनकी स्कूली शिक्षा निर्यात पेरिस एवं कराची से हुई है।वह वर्तमान में लाहौर हाई कोर्ट में चौथी सबसे बड़ी सीनियर जज है। वह अपने अनुशासन और अखंडता के लिए जानी जाती हैं उन्होंने कई संविधानिक मुद्दों पर निर्णय लिए हैं जो कि काफी महत्वपूर्ण रहे हैं।
प्रमुख मुद्दे जैसे : चुनाव में संपत्ति की घोषणा, गन्ना उत्पादकों को भुगतान और पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को लागू करना शामिल है। जैसा कि आप जानते कि जो निर्णय आज पाकिस्तान ने लिया है वही निर्णय आज लिया है वहीं निर्णय भारत ने बहुत पहले ले लिया था। जस्टिस आयशा मलिक इसके पहले लाहौर हाईकोर्ट की पहली महिला जज भी रह चुकी है
खुद को मानती हैं महिलाओं की ताकत और आवाज
पाकिस्तान की पहली महिला जज आयशा मलिक महिलाओं की ताकत बनकर सामने आई है उन्होंने एक विदेशी पत्रकार को अपने इंटरव्यू में बताया कि वे खुद को महिलाओं की आवाज मानती हैं साथ ही वे अपने व्यक्तिगत विचारधाराओं के साथ यह भी बताती है कि मेरे लिए सबसे बड़ी और जरूरी बात यही है कि मैं आज बहुत सी बहनों की आवाज हूं मैं मैं लैंगिक असमानता के एकदम विरुद्ध हूं ।
जस्टिस मलिक की पहचान पाकिस्तान में प्रगतिशील विचारधारा की महिला के तौर पर है उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए ही जैसा कि हम आपको बता दें जनवरी 2021 में जस्टिस आयशा मालिक ने पाकिस्तान में रेप मामलों की जांच के लिए इस्तेमाल होने वाली विवादित टू फिंगर वर्जिनिटी टेस्ट को रद्द करने का ऐतिहासिक निर्णय भी लिया था उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि रेप की घटनाओं को पीड़िता की वर्जिनिटी से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है।
साथ में जाने कौन है भारत की पहली महिला सुप्रीम कोर्ट जज
दोस्तों हम आपको बता दें कि भारत में पाकिस्तान से पहले ही सुप्रीम कोर्ट में महिला जज की नियुक्ति हो चुकी है । भारत ने अपने नाम यह उपलब्धि 1989 में ही हासिल कर ली थी. जस्टिस मीरा साहिब फातिमा बीबी भारत के सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाली पहली महिला जज थीं।