ISRO(Indian space research organisation) ने अभी हाल ही में एक नए उपग्रह को लांच करने की घोषणा की है। इसरो द्वारा लांच किया जाएगा नया पृथ्वी अवलोकन उपग्रह , जिसकी प्रकृति अन्य सभी उपग्रहों से भिन्न है।
जाने क्या है इसरो की नई योजना
इसरो की योजना PSLV C- 52 पर पृथ्वी प्रक्षेपण उपग्रह EOS- 04 को कक्षा में स्थापित करने की है। यह मिशन यात्रियों के रूप में छोटे उपग्रह बड़ा उपग्रह, कोलोराडो विश्वविद्यालय बोल्डर में वायु मंडली और अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला के सहयोग से भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान और और इसरो का एक प्रयोग का प्रदर्शन उपग्रह INS-20TD ले जाएगा।
पीएसएलवी के बारे में संपूर्ण जानकारी
- PSLV यह भारत की तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है।
- यह चार चरणों वाला प्रक्षेपण हाल है जिसमें पहले हो तीसरे चरण में ठोस रैकेट मोटर्स का प्रयोग किया जाता है और दूसरे और चौथे चरण में तरल रॉकेट इंजन का प्रयोग किया जाता है।
- यह लिक्विड स्टेट से लैस होने वाला पहला भारतीय लॉन्च व्हीकल है।
- इसकी क्षमता पीएसएलवी की औसत क्षमता 12 100 KG है।
पीएसएलवी के प्रकार
- पीएसएलवी इसे लो अर्थ आर्बिट में रखा जाता है
- पीएसएलवी को अलोन: इस प्रकार के प्रक्षेपण यान के वहां क्षमता 1000 किलोग्राम है ।
- पीएसएलवी मानक: इसकी निचली पृथ्वी की कक्षा में 1000 KG और भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा में 1150 KG की क्षमता है ।
- पीएसएलवी एक्स्ट्रा लार्ज : उनकी पृथ्वी की निचली कक्षा में क्षमता में 1750 KG और भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा में 1300KG की वहन क्षमता है।
पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह के बारे में ( EOS-04)
- यह एक राडार इमेजिंग उपग्रह है
- इसमें सभी मौसमों में उच्च गुणवत्ता वाली छवियां प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
- इसके मानचित्र के माध्यम से हम वहां की मिट्टी खनिज पदार्थ आज के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर पाएंगे।
- इसे पृथ्वी ग्रह से 529 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवी कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
- इसके अनुप्रयोग द्वारा कृषि वानिकी और वृक्षारोपण मिट्टी की नमी और जल विज्ञान और बार मानचित्र के क्षेत्र में भी उपलब्धियां हासिल होंगी
ISRO ( Indian space research organisation) के बारे में
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान जिसे संक्षेप में इसरो कहा जाता है यह भारत का एक राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है इसका मुख्यालय बेंगलुरु कर्नाटक में है इस संस्थान में लगभग 17000 कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं इस संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिए अंतरिक्ष संबंधी तकनीकी उपलब्ध कराना है अंतरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य देशों में उपग्रह प्रमोशन पर या फिर आंकड़ों और प्रणालियों का विकास शामिल है।
संक्षिप्त नाम इसरो
स्थापना 15 अगस्त 1969
मुख्यालय। बेंगलुरु (कर्नाटक)
प्राथमिक अंतरिक्ष बंदरगाह। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा आंध्र प्रदेश
आदर्श वाक्य। मानव जाति की सेवा में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी
प्रशासक (chairman) एस सोमनाथ
* भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट जिसे 19 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ द्वारा अंतरिक्ष में छोड़ा गया था इसका नाम महान गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया इसमें 5 दिन बाद अपना काम करना बंद कर दिया था लेकिन यह अपने आप में भारत के लिए बड़ी उपलब्धि थी
* 7 जून 1979 को भारत का दूसरा उपग्रह भास्कर पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया था।
* इसरो ने 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 भेजा है जिसने चंद्रमा की परिक्रमा की इसके बाद 24 सितंबर 2014 को मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला मंगलयान मंगल आर्बिटर मिशन भेजा गया सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया इस प्रकार भारत अपने पहले ही प्रयास में सफल होने वाला पहला राष्ट्रपति के साथ ही ऐसे में पहली बार अंतरिक्ष में एजेंसी को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचने के लिए इसरो चौथे स्थान पर रहा ।
जाने क्या है इसरो की भविष्य की योजना
ISRO ने निकट भविष्य में नई पीढ़ी के प्रति अवलोकन उपग्रह को लॉन्च करने की योजना बनाई है । इस नए लांच वाहनों और अंतरिक्ष यान के विकास के लिए भी इसरो कार्य करेगा । इसरो ने कहा है कि वह मंगल और निकट के पृथ्वी ऑब्जेक्ट्स पर मानव रहित मिशन भेजने की तैयारी में है। इसरो ने 2012- 17 के दौरान 58 विषयों की योजना तैयार की थी।