कुकरैल पिकनिक स्पॉट लखनऊ में सिर्फ मगरमच्छ और घड़ियाल ही देखने को मिलेंगे तो ऐसा भी नहीं है यहाँ आपको कछुआ भी देखने को मिल सकते है |
इसके अलावा यहाँ तरह तरह के झूले है जो आपके बच्चो को आकर्षित करेंगे और हरे-भरे घास के मैदान जहाँ आप सकून का पल बिता सकते है। कुल मिलाकर शहर के शोर शराबे से दूर यहाँ आकर आप प्रकृति को नजदीक से देख पाएंगे और यहाँ के शान्त वातावरण में कुछ पल बिता सकेंगे |
किस नदी के किनारे बसा है कुकरैल?
घड़ियाल उत्तर प्रदेश में गंगा नदी , घाघरा नदी और चंबल नदी में पाए जाते है |
यह एक लुप्तप्राय प्राणी है सन 1970 में घड़ियालो की संख्या मात्र 300 थी इसीलिये सन 1975 में गिरवा नदी (को की कर्तनिया घाट में है ) से अंडे लाकर कुकरैल में घड़ियाल प्रजनन एवं पुनर्वास केंद्र स्थापित किया गया जो की एक सराहनीय कदम था
लखनऊ जू का कुकरैल में शिफ्ट करने का कारण
कुकरैल स्थित वन क्षेत्र में नाइट सफारी बनेगी यह सिंगापुर नाइट सफारी जैसी ही होगी। सोमवार को सीएम योगी आदित्यनाथ के अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस बात की घोषणा की गई कि राजधानी का नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान भी यहां शिफ्ट किया जाएगा।
हम आपको बता दें इसका सबसे प्रमुख कारण यह है कि पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि कुकरैल वन क्षेत्र 2027 हेक्टेयर का है। जिसे प्रभावित किए बिना ही अब यहां 350 एकड़ में नाइट सफारी और 150 एकड़ में प्राणी उद्यान विकसित किया जाएगा ।लखनऊ जू इसमें समाहित होगा यानी कि अब लखनऊ जू अलग नहीं रखा जाएगा।
यदि नदी की बात करें तो कुकरैल के पास स्थित नदी को रिवरफ्रंट के रूप में विकसित किया जाएगा इसके अलावा इसे फोरलेन सड़कों से भी जोड़ा जाएगा।
किसके द्वारा तैयार किया जाएगा पूरा प्रारूप
कुकरेल में लखनऊ जू को शिफ्ट करने कीप परियोजना का पूरा प्रारूप डीपीआर तैयार करने के लिए कंसल्टेंट नियुक्त किये जाएगे। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी और अपर प्रमुख सचिव वन की अध्यक्षता में कार्य संचालन समिति का गठन किया जाएगा।
क्या होगा नाइट सफारी में खास
- वन्यजीव बारे में न रखकर ओपन कैटल ग्रिड में रखे जाएंगे
- पर्यटकों के लिए आधुनिक थीम पार्क बनाया जाएगा
- ट्रेन और जीप की सवारी की सुविधा मिलेगी
- व्याख्या केंद्र और बटरफ्लाई इंटरप्रिटेशन सेंटर बनेगा
- कैपिंग माउंटेन ,बाइक ट्रैक, दीवार पर्वतारोहण ,ट्री टॉप रेस्तरां, फूड कोर्ट रेस्टोरेंट्स भी बनेंगे।
- 75 एकड़ में तेंदुआ सफारी तथा 60 एकड़ में भालू सफारी बनेंगे
- 75 एकड़ में टाइगर सफारी बनेगी