कार्तिक मास के महीने को अत्यंत शुभ महीना माना जाता है क्योंकि इसमें मनाए गए त्यौहार को काफी महत्ता है। इसमें दिवाली के 1 दिन के बाद गोवर्धन की पूजा की जाती है। गोवर्धन की पूजा तो सभी लोग करते हैं परंतु उसके करने का कारण बहुत कम ही लोग जानते हैं । यदि आप यह नहीं जानते हैं कि हम गोवर्धन की पूजा क्यों करते हैं तो आईए जानते हैं इसके पीछे का कारण और भगवान श्री कृष्ण की महिमा…
गोवर्धन पूजा
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को यह परिवर्तन हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है यानी वर्ष 2023 में यह त्यौहार दिवाली के 1 दिन के बाद 13 नवंबर सोमवार को मनाया जाएगा।
जैसा कि हम जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां पर प्रकृति की पूजा को सर्वमान्य माना जाता है। इसी प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने प्रकृति संरक्षण का संदेश देते हुए अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को छात्र के धारण करके इंद्र के प्रकोप से सभी लोगों की रक्षा की थी।
श्री कृष्ण जी ने कहा था कि कार्तिक मास में इंद्र की पूजा करने का कोई फायदा नहीं है बल्कि सभी लोगों को पेड़ पौधों की और गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए ।जब ब्रज मंडल के लोगों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की तो इंद्र ने भारी बारिश करवा दी जिसकी वजह से लोग परेशान होने लगे तब भगवान श्री कृष्ण ने लोगों की रक्षा हेतु गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था जिसके नीचे आकर सभी लोगों ने अपनी जान बचाई और भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें शरण दी। गोवर्धन पर्वत को अन्नकूट पर्वत के नाम से भी जाना जाता है और इस त्यौहार को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है । इसमें घी, दूध ,दही के साथ इसका भोग भगवान श्री कृष्ण को लगाया जाता है ।इसके अलावा इसमें 56 भोग भी बनता है जो कृष्ण जी को अर्पित किया जाता है। शिल्पकार व श्रमिक इस दिन विश्वकर्मा पूजा भी श्रद्धापूर्वक करते हैं।