प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एक दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1988 में की गई थी। जिसका उद्देश्य एचआईवी(HIV) संक्रमण के प्रसार की वजह से एड्स महामारी के प्रति जागरूकता बढाना है। इस बीमारी से जिसकी मौत हो गई है उनका शोक मनाना है।
भारत तथा भारत सहित समस्त देश प्रयास रत हैं कि AIDS की वजह से किसी भी व्यक्ति की मौत ना हो इसलिए। सरकार और स्वास्थ्य अधिकारी, ग़ैर सरकारी संगठन और दुनिया भर में लोग अक्सर एड्स की रोकथाम और नियंत्रण पर शिक्षा के साथ, इस दिन का निरीक्षण करते हैं।
एड्स(AIDS ) का पूरा नाम ‘एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ (Acquired immune deficiency syndrome) है और यह एक तरह का विषाणु है, जिसका नाम HIV (Human immunodeficiency virus) है।
विश्व एड्स दिवस 2024 की थीम
इस साल वर्ल्ड एड्स डे की थीम लेट कम्यूनिटीज लीड (Let Communities Lead) है। AIDS की रोकथाम में समाज की अहम भूमिका के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए, इस थीम को चुना गया है। साथ ही, अब तक, एड्स के बचाव में समाज ने जो महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं, उनकी सराहना करने के लिए भी इस थीम को चुना गया है।
जाने कौन है खोजकर्ता
फ्रांस के वायरोलाजिस्ट लुक मोंटैग्नियर (Luc Montagnier) का 89 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने एड्स बीमारी के कारण एचआइवी वायरस की खोज की थी।
यह व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बनाकर उसके रक्त को सफेद पानी में बदल देता है।इसके लिए उन्हें साल 2008 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
AIDS के लक्षण
* अकारण वजन घटते जाना।
* मूंह में घाव हो जाना।
* त्वचा पर दर्द भरे और खुजली वाले ददोरे/चकते हो जाना।
विश्व में प्रथम संक्रमित व्यक्ति
सबसे पहले 1920 में यह बीमारी अफ्रीका के कॉन्गो की राजधानी किंशासा में फैली। 1959 में कांगो के एक बीमार आदमी के खून के नमूने में सबसे पहले HIV वायरस मिला था