हर कोई चाहता है कि उनका चेहरा साफ, चमकदार और ग्लोइंग नजर आए। खासकर जब बात आती है कोरियन स्किन केयर करने की, तो हर किसी का मन करता है कि उनकी त्वचा शीशे जैसी ग्लो करती हुई नजर आए। अगर आप भी कोरियन ब्यूटी सीक्रेट्स अपनाना चाहते हैं, तो आज हम आपके लिए एक आसान और घरेलू फेशियल लेकर आए हैं। इसमें आपको सिर्फ दो चीजें चाहिए जैसे एलोवेरा जेल और चावल का आटा। यह फेशियल आपकी त्वचा को गहराई से साफ करेगा, डेड स्किन हटाएगा और देगा एक नेचुरल ग्लो। तो चलिए जानते हैं इसे करने का तरीका…
Author: Archana Dwivedi
अक्सर लोग सोचते हैं कि गर्मियों में तो स्किन ऑयली होनी चाहिए, लेकिन कई बार गर्मियों के मौसम में स्किन ड्राई और फटी सी लगने लगती है। इसके पीछे कुछ खास कारण होते हैं। गर्मियों में स्किन ड्राई और फटने जैसी क्यों हो जाती है? 1. बार-बार पसीना आने से पसीना निकलने पर लोग बार-बार चेहरा और शरीर धोते हैं। इससे स्किन के नैचुरल ऑयल (जो नमी बनाए रखते हैं) निकल जाते हैं। 2. धूप और तेज गर्म हवा UV rays और गर्म हवा स्किन की नमी सोख लेती हैं। इससे स्किन खिंची-खिंची और फटी सी लगने लगती है। 3.…
नवरात्रि की नवमी तिथि को माँ दुर्गा का नवां रूप – सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन्हें सिद्धियों की दात्री कहा गया है। सभी देवी–देवता, योगी, साधक आदि इनकी कृपा से आठों प्रकार की सिद्धियाँ (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व) प्राप्त करते हैं। देवी का प्रिय रंग नवमी के दिन का शुभ रंग है बैंगनी (Purple/Violet)। यह रंग आध्यात्मिक शक्ति, भक्ति और शांति का प्रतीक है। देवी को प्रिय भाव माता सिद्धिदात्री भक्ति, विनम्रता और सरलता के भाव से अति शीघ्र प्रसन्न होती हैं। साधक यदि निस्वार्थ भाव से माँ की आराधना करे तो उन्हें…
महागौरी का स्वरूप नवरात्रि के आठवें दिन माँ दुर्गा का महागौरी स्वरूप पूजित होता है।”गौरी” का अर्थ है गोरी, उज्ज्वल और पवित्र। माता महागौरी का वर्ण चंद्रमा की भाँति श्वेत है। उनका रूप शांत, सौम्य और करुणामयी है।वे अपने चार भुजाओं में त्रिशूल, डमरू और वरमुद्रा धारण करती हैं तथा एक हाथ से अभय देती हैं। उनका वाहन सफ़ेद बैल (वृषभ) है। माता महागौरी की प्रिय वस्तुएँ और रंग प्रिय रंग : सफेद एवं हरे रंग को अत्यधिक प्रिय मानते हैं। अतः अष्टमी तिथि पर इन रंगों के वस्त्र पहनना और माता को अर्पित करना शुभ माना जाता है। प्रिय…
नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। माँ कालरात्रि का रूप देखने में जितना भयावह है, उतना ही वे अपने भक्तों के लिए मंगलकारी और कल्याणकारी मानी जाती हैं। इसी कारण उन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। उनका स्मरण मात्र ही सभी पाप, दुख और भय का नाश कर देता है।माँ कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत अद्भुत है। उनका पूरा शरीर काले रंग का है, केश बिखरे हुए हैं और गले में चमकती माला शोभा देती है। वे चार भुजाओं वाली हैं—दाहिने हाथ में अभय और वरमुद्रा तथा बाएँ हाथ में वज्र और तलवार…
माता कात्यायनी, नवदुर्गा का छठा रूप हैं। नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा की जाती है। देवी कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने महिषासुर नामक असुर का वध कर देवताओं को अत्याचार से मुक्त कराया। इन्हें शक्ति और वीरता की देवी माना जाता है। माता कात्यायनी का जन्म पुराणों के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने देवी आदिशक्ति की कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माँ ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया। चूँकि इनका जन्म ऋषि कात्यायन के घर हुआ, इसलिए इन्हें कात्यायनी कहा गया। माता कात्यायनी का स्वरूप माता कात्यायनी चार भुजाओं वाली…
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंद माता का विधि विधान से पूजन एवं अर्चन किया जाता है। स्कंदमाता की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। आईये जानते हैं कि क्यों इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है और क्या है इनका पूजा करने का विधान? जिससे माता की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है और माता सदैव प्रसन्न रहती हैं। माता को स्कन्दमाता इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे भगवान स्कन्द (कार्तिकेय / कुमार / मुरुगन) की माता हैं। विस्तार से कारण: 1. भगवान शिव और पार्वती की संतान –जब असुरों का अत्याचार बढ़ा और तारकासुर जैसे दानव को मारने के…
अरथ / नाम: चंद्रघंटा = चन्द्र (चाँद) + घंटा (घंटी/घण्टा)। उनके माथे पर अर्धचंद्र के साथ घंटा जैसा भाव माना जाता है। स्वरूप: उनके चेहरे का भाव शांत दऔरयालु है, पर उनका रूप माता चंद्रघंटा को सिंह या बाघ पर सवार की देवी हैं। उनके तीसरे रूप में वे दह हाथ-ग्यारह हाथ/दस हाथ लिये दिखती हैं (ग्रंथों में भेद है) — जिनमें त्रिशूल, खड्ग/तलवार, गदा, धनुष-बाण, कमण्डल, त्रिशूल आदि होते हैं। सवारी: अक्सर माता चंद्रघंटा को सिंह या बाघ पर सवारमाता चंद्रघंटा को सिंह या बाघ पर सवार दिखाया जाता है — यह साहस और भय दूर करने का प्रतीक…
नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है।यह देवी माँ का तपस्विनी स्वरूप है, जिन्होंने भगवान शिव को पति स्वरूप पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इनका नाम “ब्रह्मचारिणी” इसलिए पड़ा क्योंकि ये ब्रह्म (तप, ज्ञान और व्रत) का आचरण करती हैं। ✨ स्वरूप और महत्व माता ब्रह्मचारिणी के दाएँ हाथ में जप की माला और बाएँ हाथ में कमंडलु होता है। ये तपस्या और संयम का प्रतीक हैं। इनकी उपासना से साधक को धैर्य, संयम और तपस्या की शक्ति प्राप्त होती है। छात्र, साधक और जीवन में कठिन साधनाएँ करने वाले विशेष रूप से इनकी कृपा…
स्वामी विवेकानंद, भारत के महान योगी और विचारक, अपनी जीवन यात्रा में हमेशा नए अनुभवों और शिक्षाओं की तलाश में रहते थे। एक बार उनकी यात्रा उन्हें राजस्थान के अजमेर ले गई। वहाँ का प्रसिद्ध घाट, जो लोगों के स्नान और ध्यान के लिए जाना जाता है, विवेकानंद के ध्यान और आत्मचिंतन का स्थल बन गया। घाट पर पहुँचते ही उन्होंने देखा कि वहाँ रोजाना बहुत भीड़ रहती है। कुछ लोग वहाँ स्नान करने आते हैं, कुछ खेलते हैं, और कुछ केवल हँसी-ठिठोली करते हैं। स्वामी जी ने घाट के किनारे शांत बैठे और ध्यान में लीन हो गए। थोड़ी…