Corona के कहर में लाखों लोगों को खो चुके ब्रिटेन में लोगों के मन में डर से बैठ गया है। डॉक्टरों का मानना है कि ब्रिटेन में आई नई बीमारी के अपने कुछ प्रमुख लक्षण है मीडिया रिपोर्ट के अनुसार संक्रमित व्यक्ति का उपचार सेंट थॉमस अस्पताल में विशेष रूप में किया जा रहा है ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि 2018 में हुई थी परंतु पहला मरीज नाइजीरिया में मिला।
क्या है मंकीपॉक्स बीमारी? यह कैसे फैलता है
यह मंकीपॉक्स बीमारी जैसा की नाम से ही प्रतीत है मंकी अर्थात बंदर । मतलब यह बीमारी बंदरो से फैलती है।
हाल ही में आई कुछ रिपोर्ट के अनुसार बताया जा रहा है कि सामान्यतया यह बीमारी चूहों या बंदरो जैसे संक्रमित जीवो से मनुष्य में फैलता है । ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार संक्रमित व्यक्ति हाल में नाइजीरिया से आया है ऐसे में आशंका है कि मरीज को मंकीपॉक्स का संक्रमण उसी देश में सबसे पहले हुआ होगा।
इंग्लैंड की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने बताया कि मंकीपॉक्स एक दुर्लभ संक्रमण है उन्होंने कहा कि या लोगों की भी आसानी से नहीं फैलता इसके लक्षण भी मामूली होते हैं इसमें अधिकतर मामलों में रोगी कुछ सप्ताह में ठीक हो जाता है हालांकि कुछ मामलों में गंभीर रूप से बीमार भी हो सकता है।
जाने इसके लक्षण
मंकीपॉक्स भी एक दुर्लभ बीमारी है जिस स्मॉल पॉक्स या छोटी माता की तरह होती है हम आपको बता दें कि इसमें भी फ्लू जैसे लक्षण दिखने लगते हैं बीमारी गंभीर हो जाने पर निमोनिया के बाद जानलेवा सबसे इसके लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। उसके बाद लिम्फ नोट्स में सूजन आने लगती है तत्पश्चात चेहरे पर और बॉडी पर दाने दाने एवं लाल रेसस आने लगते हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार
- मंकीपॉक्स संक्रमण होने के बाद लक्षण दिखने में 6 से 13 दिन लगते हैं ।
- संक्रमित को बुखार, तेज सिर दर्द, पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी महसूस हो सकती है।
- इस बीमार में बीमार शख्स के चेहरे और हाथ पावर बड़े बड़े दाने हो सकते हैं ।
- यदि संक्रमण गंभीर है तो दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं
मंकीपॉक्स जैसी बीमारी फैलने का माध्यम
मंकीपॉक्स बीमारी एक गंभीर बीमारी है यह सांस की बूंदों, शरीर के तरल पदार्थ के जैसे पसीने, लार आदि के संपर्क में आने से या किसी संक्रमण संक्रमित जानवर पशु ,उत्पादों के संपर्क में आने से फैलता है।
यदि कोई फल या उत्पाद चूहों के द्वारा अथवा बंदरो के द्वारा झूठा किया गया है तो उसके ग्रहण करने से भी या बीमारी है काफी तेजी से फैलती है।
इस बीमारी की पहचान सबसे पहले प्रयोगशाला की बंदरों में की गई थी इसलिए इसे मंकीपॉक्स नाम दिया गया मंकीपॉक्स ज्यादातर मध्य एवम पश्चिमी अफ्रीका में होते है।
जाने मंकीपॉक्स का सबसे पहला मामला कहां देखा गया?
इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला केस 1970 में कांगो अफ्रीका में दर्ज हुआ था बता देगी मंकीपॉक्स से संक्रमित यक्ति के संपर्क में आए लोगों में भी इंजेक्शन का खतरा हो सकता है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार वर्तमान में मंकीपॉक्स का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। चेचक के टीके को मंकीपॉक्स के खिलाफ सुरक्षात्मक माना जाता है।