प्रतिवर्ष 1 में को विश्व श्रमिक दिवस यानी इंटरनेशनल लेबर डे मनाया जाता है। 1889 के पेरिस सम्मेलन में दुनिया भर की समाजवादी और श्रमिक पार्टियों के संगठनों ने मजदूरों के हक की आवाजों को बुलंद करने के लिए 1 मई का दिन चुना था।
श्रमिक दिवस का अर्थ
1 मई जिसे श्रमिक दिवस या अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस भी कहा जाता है, यह वह दिन है जो श्रमिकों और श्रमिक आंदोलन द्वारा किए गए संघर्षों और उपलब्धियों को याद करता है। यह 1 मई को कई देशों में मनाया जाता है।
यह दिन मजदूरों के महत्व, सम्मान, एकता और अधिकारों के समर्थन में मनाया जाता है ।
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस 2024 की थीम
हर साल अंतरराष्ट्रीय मजबूर दिवस के लिए खास थीम चुनी जाती है, इस साल की थीम है-
“ensuring workplace safety and health amidst climate change”, यानी जलवायु परिवर्तन के बीच काम की जगह पर श्रमिकों के स्वास्थय और सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
एम लोखंडे भारत में श्रमिक आंदोलन को संगठित करने वाले पहले नेता थे। उनका जन्म 1848 में ठाणे में हुआ था। नारायण लोखंडे ने अपने करियर की शुरुआत रेलवे और डाक विभाग से की थी।
एक मज़दूर की आवाज़
मैं मजदूर हूं मजबूर नहीं,
यह कहने में मुझे शर्म नहीं,
अपने पसीने की खाता हूं,
मैं मिटटी को सोना बनाता हूं।