महावीर जयंती जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। यह जैन समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
महावीर जयंती कब मनाई जाती है?
महावीर जयंती चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (चैत्र शुक्ल त्रयोदशी) को मनाई जाती है। यह तिथि हर वर्ष ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च या अप्रैल के महीने में आती है।
महावीर जयंती मनाने का कारण
भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में बिहार के वैशाली के कुंडग्राम में हुआ था। वे अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह (संपत्ति का त्याग) के सिद्धांतों के प्रवर्तक थे। उनका जीवन मानवता, करुणा, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए समर्पित था।
महावीर जयंती का महत्व और उत्सव
- मंदिरों में पूजा और अभिषेक – भगवान महावीर की मूर्ति का जलाभिषेक (स्नान) किया जाता है।
- शोभा यात्राएँ – महावीर जी के उपदेशों का प्रचार करने के लिए शोभायात्राएँ निकाली जाती हैं।
- दान-पुण्य और सेवा कार्य – इस दिन जैन समुदाय द्वारा गरीबों को भोजन, दान और चिकित्सा सहायता दी जाती है।
- अहिंसा और शाकाहार का प्रचार – भगवान महावीर के अहिंसा सिद्धांत के अनुरूप लोग मांसाहार त्यागते हैं और जीवों की रक्षा का संकल्प लेते हैं।
- धार्मिक प्रवचन और उपदेश – भगवान महावीर के जीवन और उनके सिद्धांतों पर चर्चा होती है।
महावीर स्वामी के प्रमुख उपदेश
- अहिंसा परमो धर्मः – अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।
- जियो और जीने दो – सभी प्राणियों के प्रति दयाभाव रखें।
- कर्म सिद्धांत – हर व्यक्ति अपने कर्मों से ही अपना भविष्य तय करता है।
- सत्य और संयम – सत्य बोलना और इंद्रियों पर संयम रखना आवश्यक है।
महावीर जयंती केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक प्रेरणा का दिन है।