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Home»inspirationl»परिवार में बच्चों के साथ कैसे बनाएं दोस्ताना रिश्ता…
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परिवार में बच्चों के साथ कैसे बनाएं दोस्ताना रिश्ता…

By Archana DwivediUpdated:October 13, 2023
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वर्तमान समय में बढ़ते तनाव के कारण मां-बाप बच्चों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं जिसकी वजह से बच्चे भी अपनी बात उनसे कहने में असहज महसूस करते हैं। बच्चों के साथ यदि स्कूल अथवा कहीं भी कोई बात होती है तो वह मां-बाप को इसलिए नहीं बताते हैं क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि कहीं इसकी वजह से उनकी पढ़ाई बंद न करा दी जाए।

हम आपको बता दे यदि आपके घर में भी बच्चे आपसे कट के रहते हैं या आपके सामने आना नहीं चाहते हैं तो उन पर ध्यान दीजिए कि किस तरीके की समस्याओं का सामना कर रहे हैं । इस तरह की समस्याओं का समाधान डाइनिंग टेबल पर कीजिए पूरे दिन में से कोई भी एक समय चुन ले चाहे वह सुबह नाश्ते का समय अथवा लंच या डिनर का समय ।

उस निश्चित समय पर पूरा परिवार एक साथ मिलकर भोजन करें ताकि सभी एक दूसरे के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकें और बच्चों से भी उनकी पढ़ाई लिखाई और दिनचर्या के बारे में पूछे।

कैसे करें बात?

लंच डिनर के समय जब आप परिवार के साथ बैठे तो किसी एजेंट की तरह नहीं बल्कि दिन कैसे बीता ,दोस्तों के बीच क्या चल रहा है आदि बातें होनी चाहिए जिससे थोड़ा खुशनुमा माहौल भी बन सके। इससे बच्चे भी अपनी बात कहने में सहज महसूस करेंगे। बच्चों के साथ माता-पिता नहीं बल्कि दोस्त बनाकर उनकी समस्याओं का समाधान करें उनके बारे में पूछे।

रोजाना ऐसा करने से बच्चे धीरे-धीरे आपसे बात करने में अच्छा महसूस करेंगे और परिवार के साथ हर बात छोटी बड़ी हर बात साझा भी करेंगे परिवार कहिए एक नियम न केवल रिश्ते सुधर सकता है बल्कि बच्चों की भविष्य के साथ-साथ उनकी मानसिक परेशानियों से भी उनको मुक्त कर सकता है।

मनोविशेषज्ञ की राय..

बाल मनो विशेषज्ञ बताते हैं कि पेरेंटिंग की समस्या और बच्चों के बीच बढ़ रहे तनाव व खुदकुशी की घटना काफी चिंता का विषय है। जब मां-बाप अपने बच्चों को समय नहीं देते हैं तो वे मानसिक रूप से कुछ ऐसी समस्याओं से जूझ रहे होते हैं कि जिसका साझा वे अपने परिवार के साथ नहीं कर पाते हैं और इस प्रकार से वे कई प्रकार की मानसिक चिताओं से ग्रसित हो जाते हैं कभी-कभी खुदकुशी करने तक की नौबत आ जाती है।

इस विषय पर बाल मनोविशेषक की अपनी राय देते हुए कहते हैं कि

  • परिवार में हमेशा डिस्कशन की गुंजाइश बनी रहनी चाहिए
  • बच्चों को डांटने के बजाय इस चीज डिस्कस करें उनसे अपनी समस्या साझा करने के लिए कहें।
  • पूरे दिन में एक उचित समय निकालकर बच्चों के साथ रूबरू हो अर्थात उनकी पढ़ाई , दोस्तों के बारे में व उनकी दिनचर्या के बारे में जरूर पूछे।
  • यदि बच्चे गलती करें तो उनसे पूछे कि क्या यह गलती आपने की है अथवा नहीं ? इसे कैसे सुधारा जा सकता है यह भी उनको बताएं। इससे बच्चे आपसे किसी प्रकार की बात करने में सहज महसूस करेंगे।
  • भाग दौड़ भरी जिंदगी में बच्चों से बातचीत करने के लिए अलग से समय निकालना काफी मुश्किल है इसलिए कोशिश करें कि डाइनिंग टेबल पर इस समस्या का समाधान जरूर निकालें

इन चीजों से बचें

  • दूसरों के उदाहरण बच्चों पर न थोपे
  • अपने आसपास के बच्चों से ज्यादा तुलना ना करें
  • बच्चों पर अनावश्यक दबाव न बनाएं जिस चीज में उन्हें रुचि हो इस चीज की शिक्षा दें
  • बच्चा कुछ ना कर पाए तो उसे इंक्वारी ना करें उसको समझाएं कि बेटा आप और अच्छा कर सकते हैं एक बार और कोशिश करें।
  • बच्चा कोई असर सवाल करे तो कतराए नहीं समझाएं
  • बात-बात पर बच्चों को डांटना- फटकारना करना बंद करे।
  • बच्चों से सही टोन में बात करें इस टोन में बात ना करें कि बात बताने से पहले यह बच्चा डर जाए।

कुछ ऐसे बनाएं फैमिली के रूल्स

प्रत्येक घर को सही बनाए रखने के लिए उसे घर में नियम व कानून का होना अति आवश्यक है। बिना नियमों व कानूनो के घर निरंकुश हो जाता है ।जहां पर कोई किसी की बात समझने को तैयार नहीं होता है इसलिए आवश्यक है कि घर में नियम और कानून होने चाहिए आईए जानते हैं कि कैसे बनाएं फैमिली रूल्स..

  • खाना खाते समय घर में कोई मोबाइल नहीं चलाएगा
  • सोते समय बेड पर गैजेट्स का प्रयोग कोई नहीं करेगा।
  • दिन का एक समय का खान साथ में बैठकर खाएं।
  • सप्ताह में एक बार फास्ट फूड खाना है तो साथ मिलकर घर में कुछ बनाएं और वही खाएं उसमें कुछ हरी सब्जियां डालें ताकि वह ज्यादा अनहेल्दी ना रहे।
  • निश्चित टाइम के बाद घर के बाहर कोई नहीं जाएगा।
  • रात में बिना बताए घर के बाहर कोई नहीं जाएगा।

बनाएं सबके लिए एक सामान्य नियम

परिवार में अनुशासन ही सब को बांधकर रखना है और बच्चों को गलत करने से रोकता है लेकिन मां-बाप को अनुशासन और बंदिश का फर्क समझना चाहिए ।अगर घर में रात 9:00 बजे के बाद टीवी देखना या बाहर जाना माना है तो वह नियम बड़ों के लिए भी होना चाहिए। रात में 8 या 9:00 बजे के बाद किसी को भी बाहर जाने से पहले इजाजत लेनी पड़ेगी यह नियम रखना चाहिए।

किसी भी दिशा निर्देश को सिर्फ बच्चों पर नहीं थोपना चाहिए क्योंकि यदि आप ऐसा करते हैं तो बच्चे नियम को तोड़ने का प्रयास करेंगे लेकिन यदि सबके लिए एक समान नियम होंगे तो बच्चे अनुशासन के साथ उसका पालन खुशी-खुशी करेंगे।

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I’m Archana Dwivedi - a dedicated educator and founder of an educational institute. With a passion for teaching and learning, I strive to provide quality education and a nurturing environment that empowers students to achieve their full potential.

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