अंतर्राष्ट्रीय खबर (देश विदेश)
इस समय खबर चल रही है की फिलीपींस ने भारत के साथ दुनिया की सबसे तेज सुपर सोनिक एंटी शिप क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की खरीद को मंजूरी दे दी है ।
इन दोनों देशों के बीच इस संबंध में जल्द ही समझौते पर हस्ताक्षर भी होगा। यह ब्रह्मोस मिसाइल भारत की सबसे प्रमुख मिसाइलों में से एक है इस पूरी मिसाइल को डील करने में लगभग $374000000 की का समझौता होगा।
हम आपको बता दें दोस्तों यह ब्रह्मोस मिसाइल के लिए पहला विदेशी आर्डर है अभी तक भारत ही केवल विदेशों से मिसाइल खरीदना आया है परंतु आज किसी विदेशी देश अर्थात फिलीपींस ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की बात की है।
हथियारों के निर्यात में भारत बनेगा चैंपियन आइए जानते है कि क्या हुई पूरी चर्चा
मिसाइल की खरीद संबंधी सूचना फिलीपींस के राष्ट्रीय रक्षा विभाग द्वारा ब्रह्मोस के अधिकारियों को दी गई भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ(Defense research development organisation) ने 11 जनवरी को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया डीआरडीओ जैसा कि आप जानते हैं कि इसका गठन 1958 को किया गया था और इस ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण भी डीआरडीओ ने ही किया । यह मिसाइल भारत एवं रूस के बीच इस संयुक्त उद्यम है जहां डीआरडीओ भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में फिलीपींस ने अपनी सेना के आधुनिकीकरण के लिए कई देशों से रक्षा सौदे किए और उनमें से एक देश भारत भी है जिसके साथ फिलिपिंस ने मिसाइल खरीदने के लिए चर्चा और समझौते पर हस्ताक्षर किए, साथ ही सैन्य तैयारी के लिए फिलीपींस ने चीन के विरुद्ध अपनी सैन्य तैयारी में भारत और रूस द्वारा मिलकर बनाई गई ब्रह्मोस मिसाइल पर ज्यादा भरोसा जताया ।
क्या है भारत और रूस के बीच साझेदारी
ब्रह्मोस मिसाइल के विकास के लिए भारत और रूस के बीच एक साझेदारी है और दोनों सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम की उत्पादन में माहिर हैं। आपको बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल ध्वनि की गति से लगभग 3 गुना तेज उड़ान भर सकती है साथ ही ब्रह्मोस मिसाइल एक शक्तिशाली आक्रामक मिसाइल हथियार प्रणाली है। इसका उपयोग पहले से ही भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना, के साथ-साथ भारतीय सेना द्वारा भी किया गया अर्थात लगभग भारत की तीनों सेनाओं ने इस ब्रह्मोस मिसाइल का सफल प्रयोग किया है।
यह मिसाइल लगभग 290 किलोमीटर तक की मारक दूरी तय कर सकता है । ब्रह्मोस मिसाइल पनडुब्बी से पानी के जहाज से विमान से तथा जमीन से भी छोड़ी जा सकती है। इस मिसाइल में भारत तथा रूस के द्वारा विकसित की गई अन्य भी कई प्रमुख विशेषताएं हैं। अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है यह ब्रह्मोस मिसाइल।
जैसा कि आप सभी को विदित होगा कि भारत को इस ब्रह्मोस मिसाइल ने रक्षा उपकरण तकनीकी में अग्रणी देश बना दिया है।
ब्रह्मोस मिसाइल की विशेषताएं
यह जमीन से हवा से पनडुब्बी से और जमीन एवं युद्धपोत से दागी जाने वाली एक मिसाइल है। ब्रह्मोस मिसाइल हवा में भी मार्ग बदल सकती है और चलते-फिरते लक्ष्य को भी भेदने की क्षमता भी रखती है। इसकी मारक क्षमता लगभग 290 किलोमीटर है ।यह मिसाइल तकनीकी रूप से जल ,थल व वायु सेना तीनों के काम आ सकती है।
ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक Cruise मिसाइल है. ये ज़मीन और समुद्र की सतह के काफी करीब उड़ती है, जिससे दुश्मनों के Radar इसका पता नहीं लगा पाते हैं. इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल सतह से 10 मीटर से लेकर 14 हज़ार मीटर की ऊंचाई तक के लक्ष्यों को भेद सकती है. इसकी लंबाई आमतौर पर 8 से 9 मीटर, यानी 26 से 30 फीट तक होती है. ब्रह्मोस के कई वेरिएंट की लंबाई 42 फीट तक भी है.
भारत रक्षा उपकरणों की खरीद बिक्री में बदल रहा अपनी छवि
हम आपको बता दें की रक्षा उपकरण खरीद के मामले में भारत विश्व में सऊदी अरब के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।
वर्ष 2020 में दुनिया में जितने हथियारों की ख़रीद हुई, उनमें से 10 प्रतिशत हथियार अकेले भारत ने खरीदे थे। पिछले 15 वर्षों में भारत 80 Billion US Dollars यानी 6 लाख करोड़ रुपये के हथियार ख़रीद चुका है।
इन आंकड़ों से अलग एक नई तस्वीर ये है कि अब भारत में भी ख़तरनाक और आधुनिक हथियार विकसित किए जा रहे हैं और हथियारों के निर्यात के मामले में भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
हालांकि हथियार बेचने वाले दुनिया के शीर्ष पांच देशों में अभी सबसे ऊपर अमेरिका है. इस क्षेत्र में उसकी हिस्सेदारी 37 प्रतिशत है. 20 प्रतिशत के साथ Russia दूसरे, लगभग 8 प्रतिशत के साथ फ्रांस तीसरे, साढ़े पांच प्रतिशत के साथ जर्मनी चौथे और 5 प्रतिशत के साथ चीन पांचवें स्थान पर है। भारत इस सूची में 24वें स्थान पर है। अभी इस क्षेत्र में उसकी हिस्सेदारी सिर्फ़ 0.2 प्रतिशत की है।
हथियारों की खरीद में आई गिरावट
यहां एक महत्वूपर्ण बात आपके लिए ये है कि, भारत में एक तरफ़ हथियारों के निर्यात में 228 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं दूसरी तरफ़ हथियारों की ख़रीद 33 प्रतिशत तक गिर गई है यानी अब भारत हथियारों के लिए दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता को घटा रहा है और आत्मनिर्भर बन कर रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा चैंपियन बनने का प्रयास कर रहा है अर्थात भारत भी शीर्ष देशों में अपनी जगह बनाना चाहता है।