अमेरिका (USA) के सुप्रीम कोर्ट (Supreme wt) में एक कानून के द्वारा महिलाओं को गर्भपात के अधिकार (Right of Abortion) को खत्म करने की घोषणा की गई। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट गर्भपात के अधिकार वाला चार दशक पुराने कानून को पलटने जा रहा है। अमेरिका में गर्भपात एक बहुत संवेदनशील मुद्दा है। इस साल के अंत में होने वाला अमेरिकी संसद के चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बन सकता है।
क्या है राइट टू अबॉर्शन?
Right To Abortion: अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बीते शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया।अदालत ने गर्भपात के अधिकार (Right To Abortion) को समाप्त कर दिया है।इस कानून के तहत अभी तक अमेरिकी महिलाओं के पास यह अधिकार था कि वे गर्भपात करने या न कराने का खुद फैसला ले सकती थी परंतु अब ऐसा नहीं है।
गर्भपात कानून पर बवाल क्यों?
अमेरिका में गर्भपात कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट का मसौदा लीक होने से हंगामा हो रहा है। खबर है कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट गर्भपात के संवैधानिक अधिकार से जुड़े 50 साल पुराने अपने फैसले को पलट सकता है। जिसको लेकर बवाल हो रहा है। 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि- ‘गर्भपात कराना है या नहीं, ये तय करना महिला का अधिकार है।’ ये फैसला नॉर्मा मैककॉरवी नाम की महिला की अर्जी पर आया था। वो टेक्ससा में रहती थीं, जहां गर्भपात असंवैधानिक है। अदालती कार्यवाही में उनको ही ‘जेन रो’ नाम दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की एंटी अबॉर्शन लॉ के तहत यह घोषणा की जा रही है कि अमेरिका में अब महिलाएं गर्भपात नहीं करा सकेंगी क्योंकि उनका यह अधिकार समाप्त कर दिया गया हैं। यही कारण है कि महिलाएं लगातार इस कानून का विरोध कर रही हैं क्योंकि उनको ऐसा महसूस हो रहा है कि उसे इससे उनके अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दोनों ही छीन जाएगी।
जाने क्या है पूरा मामला
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गर्भपात से संबंधित फैसले को पलट दिया इसके बाद अमेरिका के 50 राज्यों में से 26 ने गर्भपात को कानूनी तौर पर प्रतिबंधित करने की तैयारी शुरू कर दी। इसके विरोध में न्यूयॉर्क में महिलाएं सड़क पर उतर आई है उनका कहना है कि हम नहीं बनाएंगे, यौन संबंध
विरोध कर रही महिलाओं का कहना है कि जब तक वे खुद प्रेग्नेंट नहीं होना चाहेंगी तब तक किसी व्यक्ति किसी मर्द के साथ शारीरिक संबंध स्थापित नहीं करेंगी। हम आपको बता दें कि मिश्र ,इराक, फिलिपींस, लावोस, सेनेगल ,निकारागुआ ,अल सल्वाडोर , निकारागुआ, डोमिनिकन रिपब्लिक समेत कुल 16 देशों में गर्भपात वर्जित है ।वही 36 देश ऐसे हैं जहां अबॉर्शन तो वर्जित है लेकिन अगर मां की जान बचाने के लिए आवश्यक जरूरी होता है तो उसकी इजाजत मिली हुई है।
अमेरिका में बने हुए इस नए कानून एंटी अबॉर्शन लॉ का विरोध महिलाएं लगातार कर रही हैं उनका कहना है कि हम इस कानून को नहीं मानेंगे क्योंकि हमें अपने अभिव्यक्ति का अधिकार है ।
ट्विटर पर इस वक्त लगातार #abstinence,#sexstrike, #AbortionRightAreHumanRights का ट्रेंड चल रहा है।
जाने महिलाओं की मांग उनकी जुबानी
इस कानून से संबंधित महिलाएं अपना-अपना विचार रख रही है । आइए जानते हैं इस कानून को लेकर महिलाओं की क्या सोच और विचार है
इस बारे में आईटी कंपनी में काम करने वाली सौम्या मिश्रा (बदला हुआ नाम) वे कहती हैं कि मैं भगवान का धन्यवाद अदा करना चाहती हूं कि मैं भारत में हूं वरना मेरा क्या हाल होता । जब मैं और मेरा पार्टनर लिव रिलेशन में थे, उसके 5 साल बाद में प्रेग्नेंट हुई तो उसने मुझ से ब्रेकअप कर लिया। मुझे तब अबॉर्शन का रास्ता अपनाना पड़ा ।अगर भारत में यह कानून नहीं होता तो मैं सुसाइड कर लेती।
वही हाउसहेल्प का काम करने वाली अनीता कहती हैं कि मेरी बेटी स्वाति शादी के साल भर में प्रेग्नेंट हो गई तो डॉक्टर ने चेकअप करके कह दिया था कि उसकी उम्र और खून की कमी के कारण वह मां बनने से उसकी जान को खतरा है। तो हमने उसके अबॉर्शन करवा लिया था । हमारे देश में कम से कम यह सुविधा तो है ।उधर महिला अधिकारी उधर महिला अधिकारों को पैरवी करने वाली एक्टिविस्ट योग्यता भयाना का भी कहना है कि यह फैसला एक वर्ग की कट्टर विचारधारा से प्रभावित है महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात का अधिकार बहुत जरूरी है
भारत की बात करें तो यहां गर्भपात का कानून भले ही बहुत प्रगतिशील है लेकिन विवाह पूर्व शिक्षा सामाजिक तौर पर वर्जित है अगर लिव इन रिलेशन में रह रही कोई महिला और पार्टनर अलग हो जाए और उस दौरान महिला प्रेग्नेंट हो तो वह क्या करेगी ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ” हर साल 2.5 करोड़ से अधिक असुरक्षित गर्भपात होते हैं और 37000 महिलाओं की मौत हो जाती है इससे अवैध गर्भपात का खतरा बढ़ेगा“