गाँव के एक छोटे से स्कूल में एक बच्चा पढ़ता था, जिसका नाम अजय था। अजय पढ़ाई में बहुत अच्छा नहीं था, लेकिन उसमें एक खास बात थी—वह कभी हार नहीं मानता था।
एक दिन, स्कूल में एक दौड़ प्रतियोगिता हुई। सभी तेज़ धावक बच्चे भाग ले रहे थे, लेकिन अजय को भी भाग लेने की इच्छा हुई। उसके दोस्तों ने मज़ाक उड़ाया, “तू तो हारेगा ही, फिर क्यों दौड़ रहा है?” लेकिन अजय ने मुस्कुराकर कहा, “हारने से डरकर भागना, असली हार होती है।”
दौड़ शुरू हुई। सभी बच्चे तेज़ दौड़ रहे थे और अजय सबसे पीछे था। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने अपनी गति बनाए रखी और धीरे-धीरे कुछ बच्चों को पीछे छोड़ने लगा। अंतिम कुछ मीटर बचे थे, और अजय अपनी पूरी ताकत लगाकर दौड़ने लगा। वह पहले स्थान पर तो नहीं आया, लेकिन उसने आधे से अधिक बच्चों को पीछे छोड़ दिया।
अजय खुश था, क्योंकि उसने खुद को साबित कर दिया था। तभी स्कूल के प्रधानाचार्य जी ने उसे मंच पर बुलाया और कहा,
“सफलता केवल जीतने में नहीं, बल्कि पूरी मेहनत करने में होती है। आज अजय ने हमें सिखाया कि असली विजेता वही होता है जो कोशिश करना कभी नहीं छोड़ता!”
उस दिन से अजय ने पढ़ाई में भी मेहनत करनी शुरू की। धीरे-धीरे उसकी गिनती कक्षा के अच्छे छात्रों में होने लगी। कुछ सालों बाद वही अजय एक बड़ा अधिकारी बना और अपने गाँव के बच्चों को प्रेरित करने के लिए वापस आया।
कहानी से शिक्षा:
कोशिश करने वाला कभी हारता नहीं। जब तक हम प्रयास करते रहेंगे, तब तक हमारी जीत निश्चित है।
यह कहानी बच्चों को सिखाएगी कि हार से डरना नहीं चाहिए, बल्कि मेहनत करते रहना चाहिए।