दीपा मलिक ने समाज में मिशाल खड़ी कर दी है। एक ऐसी महिला जिसने अपनी कमजोरी को अपनी ताकत में बदल दिया है। एक विकलांग औरत जिसने वह मुकाम हासिल कर लिया जिसकी कोई आम इंसान भी नहीं सोच सकता था। दीपा मलिक वह पैरा एथलीट खिलाड़ी है , जिन्होंने देश को पैरालंपिक में पहला पदक दिलाया था। इतना ही नहीं उन्हें पद्मश्री, खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड जैसे सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
दीपा मलिक क्यों इतनी प्रसिद्ध हैं..?
2016 में, 46 साल की उम्र में….दीपा मलिक ने पैरालंपिक के खेलो में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। इतना ही नहीं बल्कि इन्होने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करली हैं।
दीपा मलिक ने आज तक जीते इतने मेडल
दीपा मलिक अब तक करीब 68 गोल्ड मेडल जीत लिए हैं। उन्होंने 13 इंटरनेशनल और 55 नेशनल और स्टेट लेवल की प्रतियोगिताओं में भी कई पुरस्कार हासिल किये हैं।
दीपा मलिक ने अपने जीवन में किन-किन चुनौतियों का सामना किया है…?
दीपा मलिक जी ने बताया हैं कि जब वह पांच साल की थीं तब उन्हें स्पाइन ट्यूमर का पता चला था और तीन साल के इलाज के बाद वह इससे उबर चुकी थी। परंतु,1999 में, 29 साल की उम्र में उनका ट्यूमर वापस आ गया था,और डॉक्टरों के पास ऑपरेशन के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था, जिसके कारण उन्हें अपना ऑपरेशन करवाना पड़ा।
दीपा के कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त है. वह सेना के अधिकारी की पत्नी और दो बच्चों की मां हैं।17 साल पहले रीढ़ में ट्यूमर के कारण उनका चलना असंभव हो गया था, दीपा के 31 ऑपरेशन किए गए जिसके लिए उनकी कमर और पांव के बीच 183 टांके लगे थे। परंतु हिम्मत ना हारते हुए और एक एक असाधारण महिला बनकर दिखाए। गोला फेंक के अलावा दीपा ने भाला फेंक, तैराकी में भी भाग लिया था।दीपा मलिक ने, न केवल देश के लिए बल्कि अपने बच्चों के लिए भी एक आदर्श स्थापित किया। उन्होंने यह साबित कर दिया कि आप शरीर से अपंग हो सकते हैं परंतु यदि आप ना चाहे, तब तक आप दिमाग से अपंग नहीं हो सकते हैं। इसी प्रकार वह कहती है -” मैं शरीर से भली ही अपंग हो गई थी परंतु मेरा दिमाग आज भी उतना ही तेज गति से कार्यकर्ता था वह एक्टिव था क्योंकि वह आगे बढ़ाना जानता था जिसके कारण आज मैं इस मुकाम पर पहुंची हूं।
दीपा मलिक का जीवन..
दीपा मलिक (जन्म 30 सितंबर 1970) को सोनीपत, हरियाणा में हुआ था। वे एक भारतीय एथलीट हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 30 साल की उम्र में की थी। वह पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं ।