“मंजिल उन्हीं को मिलती है,
जिनके सपनों में जान होती है।
पंखों से कुछ नहीं होता,
हौसलों से उड़ान होती है।“
कहते हैं यदि लक्ष्य बड़ा है और उन्हें पाने की इच्छा है तो मेहनत करने से वह एक न एक दिन अवश्य प्राप्त होता है क्योंकि सपने वो नहीं होते हैं,जो हम सोते समय देखते हैं। सपने वह होते हैं जो आपको सोने ही नही देते है। जी हां दोस्तों आज हम आपसे बात करने वाले हैं एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में जिन्होंने सोचा था कुछ और था लेकिन उनकी जुनून की आंधी उनके उनके लक्ष्य की तरफ ले गई हम बात कर रहे हैं आईएएस ऑफिसर दीपक रावत की आइए जानते हैं उनकी जिंदगी के सफर के बारे में….
IAS ऑफिसर दीपक रावत की गिनती देश के तेज तर्रार अधिकारियों में होती है आईएस होने के साथ-साथ दीपक रावत सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव है साल 2017 में दीपक रावत आईएएस गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किया गया इंटरनेट की दुनिया में ही नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर भी काफी चर्चा में हैं । यूट्यूब पर भी इनकी बहुत अधिक फैन फॉलोइंग है तथा 4 मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर है आइए जानते हैं दीपक रावत आईएएस बचपन में एक कबाड़ी क्यों बनना चाहते थे?
बचपन में कबाड़ी वाला बनना चाहती थे दीपक रावत
हाल ही में दीपक रावत आईएएस अधिकारी ने इंटरव्यू के दौरान बताया कि फिर पढ़ाई लिखाई में बचपन में उनके बहुत कम मन लगता था और यह नंबर भी बहुत खराब आते थे वे कहते हैं कि मेरे माता-पिता सोचते थे कि यह लड़का बड़ा होकर क्या करेगा। अपने इंटरव्यू के दौरान दीपक रावत ने बताया की दूसरे बच्चों की तरह उनमें भी काफी उत्सुकता थी कि भी डिब्बे, खाली टूथपेस्ट के पैकेट आदि इकट्ठा कर दुकान लगा ले। जब लोग उनसे पूछते थे कि तुम बड़े होकर क्या करना चाहते हो तो कहते थे कि मैं एक कबाड़ी वाला बनना चाहता हूं ।
क्यों लगता था उन्हें यह पेशा सबसे आकर्षक
दीपक रावत कहते हैं कि उन्हें पेशा इसलिए सबसे आकर्षक लगता था क्योंकि इसमें चीजों को एक्सप्लोर
करने का मौका मिलता था रोज नई-नई चीजें मिलती थी साथ ही में आप जगह-जगह जा सकते थे उन्होंने कहा आज भी मैं इस पेशे को बहुत मिस करता हूं सबसे बड़ी बात है। इसके अलावा भी बताते हैं कि बचपन की हैंडराइटिंग इतनी खराब थी कि कोई पढ़ भी नहीं सकता था और उनकी लिखने की गति भी बहुत ही धीमी थी जिसके कारण कभी-कभी उनका पेपर भी छूट जाता था।
IAS officer दीपक रावत की जिंदगी का सफर
दीपक रावत आईएएस ऑफिसर है जिनका जन्म 1977 में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के एक गांव में हुआ था आईएएस दीपक रावत की पिता रुद्रप्रयाग के रहने वाले हैं और माता पौड़ी गढ़वाल की। वे बताते है कि मेरी पढ़ाई लिखाई के लिए वह दोनों मसूरी आ गए मसूरी से मैंने कक्षा 12 तक की पढ़ाई की इसके बाद मैं दिल्ली आ गया और दिल्ली के हंसराज कॉलेज से इतिहास से बीए ऑनर्स किया फिर जेएनयू कॉलेज से इतिहास में M.A. किया और इसके बाद एमफिल किया।
कैसे बुना उन्होंने यूपीएससी का सपना
दीपक रावत बताते हैं कि वे बड़े हुए और समझदार हुए तो उनके मन में भी एक बड़ा अधिकारी बनने के ख्वाब पलने लगे। ख्वाब और सपनों को उड़ान देने के लिए उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी पहले दो अटेंड में वे असफल रहे परंतु हिम्मत ना हार हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखें और अंततः यूपीएससी के तीसरे प्रयास में उन्होंने यह परीक्षा पास कर ली इस प्रकार वे कड़ी मेहनत और संघर्ष करने के बाद यूपीएससी की परीक्षा में सफल रहे।
4 मिलियन से भी ज्यादा है सब्सक्राइबर
दीपक रावत आईएएस अधिकारी होने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं फेसबुक आईडी पर उनके नाम से बने फैन पेज पर लाखों फॉलोअर्स है जो उन्हें फॉलो करते हैं इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी उनकी अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है। यूट्यूब पर भी अपना चैनल भी चला रहे हैं जिसमें 4 मिलियन से भी ज्यादा सब्सक्राइब है वे अपने यूट्यूब चैनल पर अपने सामाजिक कार्य से संबंधित नई नई वीडियो अपलोड करते रहते हैं जिसे देखकर लोग कुछ सीखे और प्रेरणा लें।