जैसा कि आप सभी जानते हैं कि किसी भी देश की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए विशेष नियमों एवं कानूनों की आवश्यकता होती है । यदि किसी देश में कोई भी नियम कानून नहीं होंगी तो वह देश राजतंत्रात्मक बन जाएगा , किसी भी व्यक्ति को पूर्ण स्वतंत्रता है नहीं मिल पाएगी इसलिए लोकतंत्रात्मक देश बनाने के लिए हमारे देश ने सर्वसम्मति से एक संविधान सभा के द्वारा संविधान का निर्माण हुआ ।
दोस्तों,यहां पर हम आपसे चर्चा करने वाले है संविधान के सभी महत्वपूर्ण अधिनियमों के बारे में जो सभी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए अति महत्वपूर्ण है।
भारत का संवैधानिक विकास -अध्याय 1 (Consititutional development of India) PART-1
संविधान किसी भी देश की सर्वोच्च इकाई होती है । सर्वोच्च विधि होती है। देश की संपूर्ण राजनीतिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था संविधान के अनुसार ही संचालित होती है।
किसी भी देश के संविधान से शासन की मूलभूत आदर्शों का संकेत मिलता है साथ ही उसे यह भी पता चलता है कि सरकार की विभिन्न अंग किस प्रकार से कार्यरत हैं। उनके बीच किस प्रकार का अंतर्संबंध व शक्ति संतुलन स्थापित है। संविधान सरकार के साथ जनता के संबंधों का भी निर्धारण करता है।
यद्यपि भारतीय संविधान का निर्माण भारतीय प्रतिनिधियों से निर्मित एक संविधान सभा द्वारा किया गया है परंतु इसमें अधिकांश प्रावधान 1935 अधिनियम तथा निम्नवत अधिनियम के तहत हुआ था जिसका विवरण निम्नवत है-
कुछ अधिनियम के तहत भारत का संवैधानिक विकास
ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत अधिनियम
* रेगुलेटिंग एक्ट 1773
* पिट्स इंडिया एक्ट 1784
* चार्टर एक्ट 1793
* चार्टर एक्ट 1833
* चार्टर एक्ट 1853
* रेगुलेटिंग एक्ट 1773
- रेगुलेटिंग एक्ट 1773 ब्रिटिश प्रधानमंत्री लॉर्ड नॉर्थ द्वारा गोपनीय समिति की सिफारिश पर बनाया गया इस एक्ट को 1773 रेगुलेटिंग एक्ट की संज्ञा दी गई।
- इसी अधिनियम के द्वारा बंगाल के गवर्नर गवर्नर जनरल कहा जाने लगा । बंगाल के पहले गवर्नर जनरल लार्ड वारेन हेस्टिंग थे।
- इस अधिनियम के अंतर्गत कोलकाता में 1774 ईस्वी में एक सुप्रीम कोर्ट अर्थात उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गई जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य न्यायाधीश थे।
- सर एलिजा इंपे कोलकाता में स्थापित उच्चतम न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश थे।
पिट्स इंडिया एक्ट 1784
* इस एक्ट के अंतर्गत एक नियंत्रण बोर्ड की स्थापना की गई जिसे बोर्ड ऑफ कंट्रोल के नाम से जाना जाता है।
* इसमें सैनिक ,असैनिक तथा राजस्व संबंधी मामलों को नियंत्रण करने का अधिकार बोर्ड के अधीन कर दिया गया
* इस अधिनियम के द्वारा भारत में गवर्नर जनरल की परिषद की सदस्य संख्या 4 से बढ़ाकर छह कर दी गई
* पिट्स इंडिया एक्ट के द्वारा कंपनी के व्यापारिक तथा राजनीतिक कार्यों को एक दूसरे से अलग कर दिया गया
1786 का अधिनियम (चार्टर एक्ट 1786)
- इस अधिनियम के द्वारा गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस को मुख्य सेनापति की समस्त शक्तियां प्रदान कर दी गई।
- इस अधिनियम के माध्यम से विशेष परिस्थितियों में गवर्नर जनरल को अपनी परिषद के निर्णय को रद्द करने का अधिकार प्रदान कर दिया गया।
1793 का अधिनियम ( चार्टर एक्ट 1793)
- इस एक्ट के अंतर्गत कंपनी को व्यापारिक अधिकारों को 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया।
- इसमें गवर्नर जनरल को मुंबई, कोलकाता, मद्रास सभी प्रेसीडेंसियो पर अधिकार क्षेत्र भी विस्तारित कर दिया गया।
- इस अधिनियम के द्वारा बोर्ड ऑफ कंट्रोल के अधिकारियों का वेतन भारतीय कोष से दिये जाने का निर्णय किया गया।
चार्टर एक्ट 1813 :-
इस एक्ट के द्वारा कम्पनी का भारतीय प्रदेशों तथा राजस्व पर नियंत्रण का अधिकार 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया।
- चार्टर एक्ट 1813 के तहत कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार सिर्फ दो ही क्षेत्रों में बचा.
i. चीन के साथ व्यापार करना
ii. चाय के व्यापार करना
- मिशनरियों को भारत में धर्म प्रसार की छूट दी गई
- इसइस एक्ट के अंतर्गत भारतीयों की शिक्षा के लिए प्रति वर्ष ₹100000 करने का प्रावधान किया गया।
- सभीसभी अंग्रेज व्यापारियों को इस एक्ट के माध्यम से भारत में व्यापार करने की छूट भी प्रदान कर दी गई।
1833 का अधिनियम (चार्टर एक्ट 1833)
- 1833 एक्ट के द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया।
- भारत के पहले गवर्नर जनरल बने लॉर्ड विलियम बैटिंग।
- गवर्नर जनरल को प्रशासन, विधि व वित्तीय क्षेत्रों में सर्वोच्च निर्णायक निकाय बना दिया गया इस प्रकार प्रशासनिक केंद्रीकरण की शुरुआत की गई।
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पास आप मात्र राजनीतिक अधिकारी ही शेष रह गए थे।
- कंपनी की व्यवसायिक गतिविधियों को बंद करके उससे ब्रिटिश भारत का राजनैतिक अंग बना दिया गया।
- पूरे भारत के लिए एक बजट का प्रावधान किया गया
- कंपनी के प्रशासनिक पदों पर भारतीयों की नियुक्ति की शुरुआत की गई।
- गवर्नर जनरल जनरल की परिषद में विधि सदस्य के रूप में लॉर्ड मैकाले को शामिल किया गया।
- 1833 एक्ट के माध्यम से 1834 में लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में 4 सदस्य विधि आयोग का गठन किया गया।
- इस एक्ट के अंतर्गत एक विधि आयोग की स्थापना की गई तथा इसी में एलबरनो द्वारा दास प्रथा को गैरकानूनी घोषित किया गया
- चार्टर एक्ट 1833 ने सिविल सेवकों के चयन के लिए खुली प्रतियोगिता का आयोजन प्रारंभ करने का प्रयास किया परंतु कोर्ट आफ डायरेक्टर्स के विरोध के कारण इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया।
1853 का अधिनियम (चार्टर एक्ट 1853)
- गवर्नर जनरल की विधि व कार्यकारी कार्यों को पृथक किया गया।
- सिविल सर्विस के लिए खुली प्रतियोगिता परीक्षा की शुरुआत की गई।
- इस अधिनियम के द्वारा गवर्नर जनरल की परिषद के विधायक कार्यों को प्रशासनिक कार्यों से प्रथक करने की व्यवस्था की गई तथा साथ ही विद निर्माण हेतु भारत के लिए 12 सदस्य विधान परिषद (legeslative council ) की स्थापना की गई।
- बंगाल के लिए अलग से एक अलग से जनरल नियुक्त करके भारत के गवर्नर जनरल को उसकी जिम्मेवारी से मुक्त किया गया।