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बेंत की टोकरिया लेकर सभी नदी के तट पर पहुंच गए। जैसे ही वे सब नदी का पानी टोकरी में भरते पूरा पानी टोकरियों के छेद से निकल जाता और बह जाता। सभी शिष्य परेशान हो चुके थे और थक्कर गुरुकुल वापस लौट आए। किंतु उन सभी शिष्य में से एक शिष्य वही नदी के तट पर रुक रहा। क्योंकि उसे अपने गुरु पर